लखनऊ: डीजीपी एके जैन ने भी माना है कि उत्तर प्रदेश पुलिस के सिपाही शराबी, जुआरी और अपराधी हैं। उन्होंने बैंकों में सुरक्षा के लिए ऐसे सिपाहियों की ड्यूटी लगाने से मना किया है। अपने एक आदेश में उन्होंने कहा है कि बैंकों की सुरक्षा में लगने वाले पुलिसकर्मियों की पूरी तरह जांच कर ली जाए। जिससे शराबी, जुआरी और अपराधी किस्म के पुलिसकर्मी बैंक की सुरक्षा में न लग सकें।
पुलिस महानिरीक्षक (अपराध) आरके स्वर्णकार ने डीजीपी के हवाले से जारी आदेश को जोनल आइजी, रेंज डीआइजी और सभी जिलों के एसपी-एसएसपी को भेजते हुए देवरिया में सेंट्रल बैंक आफ इंडिया में गार्द में नियुक्त पुलिसकर्मी पर लगे चोरी के आरोपों की याद दिलाई है। अधिकारियों को गारद के निरीक्षण की नसीहत के साथ कहा है कि बैंकों की सुरक्षा में नियुक्त होने वाले पुलिसकर्मी साफ सुथरी छवि के हों और संदिग्ध निष्ठा वाले पुलिसकर्मी को कतई बैंकों में न लगाया जाए। अधिकारियों को बैंक प्रबंधकों से परस्पर संवाद स्थापित करने और सीसीटीवी कैमरा लगाने पर भी जोर दिया है।
आइटी एक्ट के मुकदमों की विवेचना में लाएं तेजी
सूचना एवं प्रौद्योगिकी अधिनियम से संबंधित मुकदमों की विवेचना के निस्तारण में ढिलाई पर डीजीपी एके जैन ने नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा है कि एक तरफ मुकदमों का बोझ बढ़ रहा है और दूसरी तरफ इसके निस्तारण में कमी आ रही है। जो निस्तारण हो रहें हैं, उनको भी गुणवत्ता के आधार पर नहीं किया जा रहा है।
डीजीपी पुलिस अधिकारियों को भेजे गये निर्देश में कहा है कि सूचना एवं प्रौद्योगिकी से सम्बन्धित अभियोगों की विवेचना के संबंध में समीक्षा करने पर पाया गया कि जिला प्रभारी तथा उनके अधीन कार्यरत अपर पुलिस अधीक्षक, अपराध द्वारा इन अपराधों के निस्तारण में ठोस रुचि नहीं ली गयी है। उन्होंने कहा कि एसपी ऐसे मामलों में खुद फैसला करेंगे कि कौन सी क्राइम ब्रांच को दी जाए। इनकी समीक्षा एएसपी द्वारा हर पखवारे तथा एसपी द्वारा माह में एक बार जरूर की जाए। उन्होंने आरोपियों के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल करने के भी निर्देश दिए।