लखनऊ:वर्दी तथा उसकी मर्यादा ताक पर रखकर चापलूसी में माहिर यशस्वी यादव लखनऊ में एसएसपी पद पर अपनी तैनाती पर खरे नहीं उतरे।
यशस्वी यादव की अव्वल दर्जे की चापलूसी का उदाहरण तो उनके कार्यालय में दिखता था। जहां सीएम अखिलेश यादव तथा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ उन्होंने समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव का चित्र लगा रखा था। जबकि इस जगह पर राष्ट्रपति की तस्वीर लगाई जाती है।
सीएम अखिलेश यादव के बेहद करीबी माने जाने वाले महाराष्ट्र कैडर के आइपीएस यशस्वी यादव का विवादों से चोली दामन का साथ था। कानपुर में सत्ताधारी दल के विधायक की मिजाजपुर्सी में यशस्वी यादव ने हैलट हास्पिटल के डाक्टरों पर जमकर लाठियां बरसा दी थीं। मामले ने काफी तूल पकड़ा तो हाईकोर्ट की सख्त फटकार के बास इनको कानपुर से हटाया गया। सरकार के करीब यशस्वी को और बड़ी कुर्सी दे दी गई। उनको लखनऊ में भी एसएसपी का कार्यभार दिया गया। यहां पद संभालने के बाद यशस्वी यादव ने कई विवादित खुलासे किये। जिनको लेकर पुलिस महकमे की काफी किरकिरी हुई थी। यूपी सरकार ने यह कदम कल अखिलेश यादव व पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के बीच हुई वार्ता के बाद लिया है। इस बैठक में मुलायम ने यशस्वी यादव की वजह से सरकार की छवि मीडिया और समाज में धूमिल होने को लेकर चिंता व्यक्त की थी। इसके बाद गृह विभाग ने सीएम के इशारे पर उनके तबादले का निर्देश दिया।
फिलहाल यशस्वी यादव को प्रतीक्षा सूची में रखा गया है। जब तक कहीं तैनाती नहीं मिलती तब तक यशस्वी यादव डीजीपी कार्यालय से सम्बद्ध रहेंगे। फिलहाल लखनऊ डीआइजी रेंज आरके चतुर्वेदी लखनऊ के एसएसपी का कार्यभार संभालेंगे।
सीएम से याराना
लखनऊ में तैनाती के दौरान यशस्वी यादव लोगों को मुख्यमंत्री ने अपने दोस्ती की कहानियां सुनाते थे। बात कुछ हद तक सही भी है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने महाराष्ट्र कैडर के आईपीएस अफसर यशस्वी यादव को सपा सरकार बनते ही प्रदेश में तैनात करवा दिया। वनमैन आर्मी की तरह काम करने का साहस प्रदेश के हाकिम से दोस्ती के कारण ही उनके पास था।
सरकार की करा दी किरकिरी
यशस्वी यादव ने कानपुर में तैनाती के दौरान सरकार की जमकर किरकिरी कराई। मामला डॉक्टरों की पिटाई का हो या फिर बजरिया में हुए बवाल पर एक पक्षीय कार्रवाई का। इसके साथ ही कानपुर के सनिगवां में दो पक्षों में विवाद के बाद सांप्रदायिक माहौल बिगडऩे का यश भी यशस्वी को ही मिलता है। इन्होंने आते ही कानपुर के पेट्रोल पंप मालिकों पर शिकंजा कसने की कोशिश की और अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर पेट्रोल पंपों पर थानेदारों से छापे डलवाकर नमूने भरवाए. पंप मालिकों को हारकर अदालत की शरण लेनी पड़ी। तत्कालीन डीएम समीर वर्मा ने इस पर नाराजगी जताते हुए शासन को पत्र लिखा था। इसके बाद एसएसपी और डीएम में तलवारें खिंच गई। यशस्वी 25 दिसंबर को एसएसपी नवीन मार्केट के सामने अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म दिन मना रहे भाजपा के कार्यकर्ताओं से भिड़े। मारपीट तक की नौबत आ गई थी।
लखनऊ में यशस्वी ने तेलंगाना में मारे गए बिजनौर ब्लास्ट के आरोपी एजाजुद्दीन व असलम अयूब के कनेक्शन को राजधानी के एटीएम लूटकांड से जोड़ा। तेलंगाना पुलिस ने ऐसे किसी भी खुलासे से साफ इनकार किया है। डेढ़ महीने तक खाक छानने के बाद भी पुलिस जब एटीएम लूटकांड के लुटेरों का रूटमैप तक नहीं पता लगा सकी तो वह बदमाशों तक कैसे पहुंचती। माना जा रहा है की मौका मिलते ही लखनऊ पुलिस ने लूटकांड का सेहरा तेलंगाना पुलिस की मदद से वहां मारे गये आतंकियों के सर बांध दिया।