नई दिल्ली:जब हरपाल सिंह प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से देश की पहली मारुति 800 की चाभी लेने मंच पर पहुंचे तो वहां राजीव गांधी भी मौजूद थे। राजीव गांधी और हरपाल सिंह कभी इंडियन एयरलाइंस में साथ-साथ काम करते थे और एक-दूसरे को अच्छी तरह पहचानते थे। राजीव गांधी अपनी कुर्सी से उठकर आगे आए और हरपाल सिंह को गले लगा लिया। हरपाल सिंह लकी ड्रॉ के माध्यम से मारुति 800 के पहले ग्राहक बने थे।
घर में मारुति आते ही हरपाल सिंह ने अपनी पुरानी फिएट कार बेच दी और फिर सारी जिंदगी उन्होंने कोई दूसरी कार नहीं खरीदी। जब मारुति जेन लॉंन्च हुई तो परिवार के सदस्यों ने उनसे पुरानी कार बेचकर जेन खरीदने की सलाह दी पर हरपाल सिंह ने इस प्रस्ताव को यह कहकर ठुकरा दिया कि जबतक वे जिंदा हैं वे इस कार को नहीं बेचेंगे। मारुति 800 ने 80 के दशक में देश में कार क्रांति को जन्म दिया था और तब यह भारतीय मध्य वर्ग के लिए स्टेटस सिंबल बन गई थी। 2008 में मारुति ने अपने ब्रांड की 25वीं सालगिरह मनाने के लिए इस कार को लिया था, लेकिन इसके बाद कंपनी ने भी इस कार की कोई सुध नहीं ली।
यह दिन था 14 दिसंबर 1983, तब इस कार की कीमत 47,000 थी पर लोग इस कार के लिए 1 लाख रुपए भी देने के लिए तैयार थे। इस कार ने दिल्ली निवासी हरपाल सिंह और उनकी पत्नी गुलशनबीर कौर को ताउम्र शोहरत दिलाई पर आज इस कार की सुध लेने वाला कोई नहीं है। अपने पहले मालिक के घर के आगे जंग खाती यह कार धीमी मृत्यु की ओर बढ़ रही है।
हरपाल सिंह के सबसे बड़े दमाद तेजींदर अहलूवालिया कहते हैं कि, ‘2008 के बाद कंपनी ने अपने पहले बच्चे को फिर कभी नहीं पूछा। दो साल पहले हमने कंपनी को पत्र लिखकर आग्रह किया कि वे इतिहास की इस धरोहर को बचाने के लिए कुछ करें लेकिन कंपनी ने कोई रूचि नहीं दिखाई।’
हरपाल सिंह जबतक जीवित रहे इस कार की देखभाल की और इसे चलाते रहे। एक समय यह कार जहां खड़ी होती थी लोग इसकी एक झलक पाने के लिए जुट जाते थे। सन 2010 में हरपाल सिंह की मृत्यु हो गई और उसके दो साल बाद उनकी पत्नी गुलशनबीर कौर भी चल बसीं। तब से उनके दिल्ली के ग्रीन पार्क के घर में ताला लगा है क्योंकि उनकी बेटियां विवाह के बाद अपने ससुराल में रहती हैं जो कि दिल्ली के अलग-अलग हिस्से में है। पति-पत्नी की मृत्यु के बाद से उनकी यह कार उनके निवास के बाहर खड़ी है। कुछ दिनों तक तो उनके दमाद आकर इस कार को मुहल्ले में चलाया करते थे पर पिछले डेढ़ साल से यह कार नहीं चली।
धूल से ढंकी यह कार अब जंग खाने लगी है और इसके आसपास घास उग आई है। अपने बयान में मारुति सुजुकी के प्रवक्ता ने कहा कि, ‘हमारे लिए यह बहुत महत्व रखता है कि हमारे पहले ग्राहक ने इस कार को इतने हिफाजत से रखा। यदि अब उनका परिवार यह चाहता है कि कंपनी उनसे यह कार खरीद ले तो हम उनके साथ इस विषय पर बात कर सकते हैं।’