नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को आज देश का सबसे बड़ा सम्मान भारत रत्न दिया गया। यह सम्मान उन्हें राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा दिया गया। खराब स्वास्थ होने के कारण राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी प्रोटोकॉल तोड़कर वाजपेयी के घर जाकर ही उन्हें इस सम्मान से सम्मानित किया। इस मौके पर वाजपेयी के घर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री राजनाथ, विदेशमंत्री सुषमा स्वाराज, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, मुरली मनोहर जोशी और अन्य गणमान्य लोगों के मौजूद थे।
वाजपेयी भारत रत्न ग्रहण करने वाले देश के सातवें प्रधानमंत्री होंगे। इससे पहले जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, मोरारजी देसाई, लाल बहादुर शास्त्री और गुलजारीलाल नंदा को यह सम्मान मिल चुका है। और देश के 45वें नागरिक हैं। आधी सदी से ज्यादा के सियासी सफर में वाजपेयी उन चुनिंदा नेताओं में से रहे हैं जिनके धुर विरोधी भी उनका बेहद सम्मान करते हैं। गठबंधन धर्म को निभाना, बाकी नेताओं को वाजपेयी ने ही सिखाया। साल 1951 में जनसंघ के साथ औपचारिक तौर पर राजनीति के मैदान में कदम रखने वाले वाजपेयी ने 3 बार देश की कमान संभाली।
पहले 13 दिन तक, फिर 13 महीने और फिर पूरे पांच साल तक। वाजपेयी इकलौते नेता थे, जो जब बोलना शुरू करते थे तो सदन का हर सदस्य बिना शोर शराबे की उनकी बात सुनता था। उनकी भाषण कला के मुरीद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी रहे। वाजपेयी मंझे हुए राजनेता रहे तो कोमल हृदय कवि भी। तमाम मुद्दों पर उनकी कलम से निकली कविताएं सीधे लोगों के दिल तक पहुंची।
वहीं पिछले साल दिसंबर में वाजपेयी के अलावा जाने-माने स्वाधीनता सेनानी और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय को भारत रत्न से सम्मानित करने की घोषणा की गई थी। मालवीय को 31 मार्च को भारत रत्न दिया जाएगा।