नई दिल्ली:इसे दक्षिण अफ्रीका की किस्मत नहीं तो और क्या कहा जाए। हां यकीनन क्रिकेट नसीब का खेल तो है, लेकिन ऐसा भी क्या नसीब की हर बार उल्टा ही पड़ जाए। वर्ल्ड कप 2015 के ऑकलैंड में चल रहे पहले सेमीफाइनल में मैदान में न्यूजीलैंड जिस तरह से बैटिंग कर रही है, ऐसा लग रहा है एक बार फिर से द. अफ्रीका का नसीब धोखा न दे जाए। वर्ल्ड कप महज एक मैच और दूर है और यहां टीम फाइनल में पहुंचने की जंग में उलझी है।
बारिश ने डाला मुश्किल में
न्यूजीलैंड को एक बड़ा लक्ष्य देने के लिए अफ्रीकी कप्तान डिविलियर्स जब आक्रामक मूड़ में दिखाई दे रहे थे तभी बारिश होनी थी और मैच 43 ओवरों का होना था। यानी की जिस लय से अफ्रीकी टीम लक्ष्य देने की स्थिति में थी वह लय ही समाप्त हो गई। बावजूद इसके डेविड मिलर के आखिरी के 49 रन काम आए। डकवर्थ लुईस नियम भी लगा तो लक्ष्य 282 की जगह 298 का हो गया। बात सारी अफ्रीकी टीम के पक्ष में है, लेकिन मैक्कुलम ने 26 गेंदों पर 59 रन बनाकर जिस तरह की शुरुआत कीवी टीम को दी है वह जीत की मजूबत नींव छोड़ गए हैं। खैर अब भी कुछ कहा नहीं जा सकता, सिवाय इसके अफ्रीकी टीम खेलती तो बीसा ही है, लेकिन कम्बख्त नसीब अपना खेल ना दिखाए।
अतीत है कि पीछा नहीं छोड़ता
क्रिकेट में अतीत आपका पीछा नहीं छोड़ता, न खिलाड़ी का न टीम का। अब अफ्रीकी टीम वर्ल्ड कप में अब तक 3 सेमीफाइनल खेल चुकी है, लेकिन आज तक फाइनल नहीं खेल पाई। 1992 में वह इंग्लैंड से हारी है तो वहीं 1999 और 2007 में ऑस्ट्रेलिया से हारी। इस बार अफ्रीकी टीम चौथा सेमीफाइनल खेल रही है और आज भी हालात कुछ नसीब वाले ही हो रहे हैं। यानी की बारिश भी है, डकवर्थ लुईस नियम भी है और सामने छह बार सेमीफाइनल में जाने वाली न्यूजीलैंड है। इस अतीत को देखें तो हम और आप दक्षिण अफ्रीका के लिए सोचने वाले तो यही सोचेंगे न? ना भी सोचें तो नजर तो अतीत के कीर्तिमानों पर ही जाती है। क्या दुनिया की बेहतरीन टीमों में से एक अफ्रीकी टीम को क्या आज फिर फाइनल की आस दिल में रखकर अगले वर्ल्ड कप का इंतजार करना होगा? देखिए मैदान पर मंजर तो यही नजर आ रहा है।