फर्रुखाबाद :क्या आप जानते हैं कि संसार में सांपों की 2500 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं जिसमें से 500 के करीब जहरीली होती हैं। लेकिन उन 500 प्रजातियों में से कई ऐसी प्रजातियां हैं जिनका जहर इतना खतरनाक होता है कि उनके थोड़े से जहर से ही आदमी कुछ मिनटों में मर जाता है। लेकिन कई ऐसी जहरीली प्रजातियां भी है, जो कि इंसानो के लिए खतरनाक नहीं है। आज हम आपको कुछ ऐसे सांपों के बारे में बता रहे हैं, जिनका जहर बहुत खतरनाक है। आगे की स्लाइड्स में देखें दुनिया के सबसे खतरनाक सांप।
समुद्री सांप: संसार का सबसे जहरीला समुद्री सांप साउथ ईस्ट एशिया और नॉर्थन ऑस्ट्रेलिया में पाया जाता है। ये सांप इतना जहरीला है कि इसकी जहर की कुछ मिलीग्राम बूंदें ही 1000 इंसानो की मौत के लिए पर्याप्त है। समुद्र में पाए जाने की वजह से इससे इंसानों को कम खतरा है। केवल मछुआरे ही मछली पकड़ते वक्त कभी कभार इसका शिकार होते है।
इंनलैंड ताइपन: यह सांप जमीन पर पाए जाने वाले सांपो में सबसे जहरीला सांप है। इसकी एक बाइट में करीब 100 मिलीग्राम तक जहर होता है जो कि बहुत ज्यादा नहीं है पर यह इतना घातक होता है कि 100 इंसानों को मार सकता हैं। इनका जहर रैटल स्नेक की तुलना में 10 गुना और कोबरा की तुलना में 50 गुना ज्यादा घातक होता है। सबसे खास बात ये है कि इस सांप ने आजतक किसी भी इंसान को नहीं काटा है।
इस्टर्न ब्राउन स्नेक: ऑस्ट्रेलिया में पाया जाने वाला ये सांप बहुत ही जहरीला होता है। इस जहर का 14,000 वां हिस्सा ही किसी इंसान को खत्म करने के लिए काफी है। इनकी चाल बेहद तेज होती है और एक बार खतरा महसूस होने पर ये पीछा करके काटते हैं। इसके काटने के 5 मिनट के भीतर इंसान खत्म हो जाता है। यह सांप केवल मूवमेंट पर ही प्रतिक्रिया करता है इसलिए कभी इस सांप से आपका सामना हो तो बिलकुल स्थिर रहना ही सबसे बढ़िया उपाय है।
रैटलस्नेक: यह उत्तरी अमेरिका का सबसे जहरीला सांप है। यह सांप अपनी पूंछ के आखिरी सिरे पर बने छल्लों के कारण आसानी से पहचाना जाता है। जब यह अपनी पूंछ को हिलाता है तो यह छल्ले, झुनझुने की तरह आवाज करते है इसलिए इसका नाम रैटलस्नेक पड़ा है। इस सांप की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इनके बच्चे, बड़ो से ज्यादा खतरनाक होते है। क्योकि बच्चों में बड़ों से ज्यादा जहर होता है।
डेथ एडर: यह सांप ऑस्ट्रेलिया और न्यू गुइना में पाया जाता है। ये सांप घात लगाकर दूसरे सांपो का शिकार करके खा जाता है। यह एक बार में 100 mg तक जहर शिकार के शरीर में छोड़ सकता है। हालांकि यह बहुत विषैला है फिर भी यह इंसानों के लिए इतना खतरनाक नहीं है क्योकि इसके विष का शरीर पर असर बहुत धीरे होता है। इसके विष का पूरी तरह असर होने में 6 घंटे तक लग जाते है। इसलिए एंटी वेनीम इसके इलाज में काफी कारगर है।
सॉ स्केल्ड वाइपर: वाइपर वैसे तो पूरे संसार में पाए जाते हैं और इनकी अधिकांश प्रजातियां जहरीली होती हैं। लेकिन इनकी सबसे जहरीली प्रजाति सॉ स्केल्ड वाइपर और चेन वाइपर भारत, चीन और साउथ ईस्ट एशिया में पाई जाती है। यही सांप भारत में सांपों के काटने से होने वाली सबसे ज्यादा मौतों के लिए जिम्मेदार हैं। ये सांप प्राय: बारिश के बाद शिकार की तलाश में निकलते हैं और इंसानों के दुश्मन बन जाते हैं।
फिलिपीनी कोबरा: कोबरा की अधिकांश प्रजातियां ज्यादा जहरीली नहीं होती हैं लेकिन फिलिपीनी कोबरा इसका अपवाद है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह शिकार को डसने की बजाय उस पर दूर से जहर थूकता है। ये 3 मीटर की दूरी से भी शिकार पर जहर थूक सकता है। इसके जहर थूकने के आधे घंटे के अंदर शिकार की मौत हो जाती है।
टाइगर स्नेक: यह सांप ऑस्ट्रेलिया में पाया जाता है। इसके काटने के बाद 30 मिनिट से 24 घंटे के अंदर इंसान की मौत हो जाती है। इसके बावजूद भी यह इंसानो के लिए ज्यादा खतरनाक नहीं है क्योकि इंसानो से मुठभेड़ होने पर यह भाग जाता है यह काटता उसी स्थिति में है जब यह किसी कोने में हो और भागने की कोई जगह न हो।
ब्लैक माम्बा: ब्लैक माम्बा पूरे अफ्रीका में पाया जाता है और ये सांप अफ्रीका में सांप के काटने से होने वाली सबसे ज्यादा मौतों के लिए जिम्मेदार है। यह धरती पर सबसे तेज चलने वाला सांप है जो कि 20 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से अपने शिकार का पीछा कर सकता है। खतरा महसूस होने पर ये लगातार 10-12 बार काटता है और 400 मिलीग्राम तक जहर इंसान के शरीर में छोड़ देता है। इसके काटने के 15 मिनिट से लेकर 3 घंटे के अंदर इंसान की मौत हो जाती है।
ब्लू करैत: ये सांप साउथ ईस्ट एशिया और इंडोनेशिया में पाया जाता है। ये सांप भी डेथ एडर की तरह दूसरे सांपों का शिकार करके खाता है। ये सांप सामान्यत: रात के वक्त शिकार ढूंढने निकलते हैं। काफी जहरीले होते हैं पर साथ ही निहायत डरपोक भी। इंसानी बस्तियों से दूर रहते हैं और उलझना पसंद नहीं करते। लेकिन एक बार यदि इन्हें अंदेशा हो जाए कि बिना उलझे काम नहीं चलेगा तो फिर ये छोड़ते भी नहीं। इनके काटने के तुरंत बाद आदमी को लकवा मार जाता है। इनका जहर भी न्यूरो टॉक्सिक होता है। एंटी वेनीन बनने से पूर्व इसके काटने से मरने वालो की संख्या 85% थी।