लखनऊ| उत्तर प्रदेश में पूर्व की बसपा सरकार के दौरान राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के तहत करीब 5500 करोड़ रुपये के घोटाले को अंजाम दिया गया| जिसमें पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा, अनंत कुमार मिश्रा, आईएएस अफसर प्रदीप कुमार शुक्ला, पूर्व डीजी हेल्थ एसपी राम, पैकफेड के एमडी वीके चौधरी, चीफ इंजीनियर एमएम त्रिपाठी, इंजीनियर एके श्रीवास्तव, सौरभ जैन सहित कुछ अन्य नेता और वरिष्ठ अधिकारियों ने जमकर बंदरबांट की| इस घोटाले में कईयों की हत्याएं भी हुई| कोर्ट के दखल के बाद इसकी जाँच सीबीआई को दी गयी| कहा जाता है कि पूर्व सरकार का ऐसा कोई मंत्री नहीं था जिसने इस घोटाले में कमाई ना की हो| मायावती के ज्यादातर मंत्री इस घोटाले में शामिल रहे| करीब चार साल बाद सीबीआई कोर्ट ने इस घोटाले के प्रमुख सूत्रधार पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा व वरिष्ठ आईएएस प्रदीप शुक्ला समेत नौ लोगों पर आरोप तय कर दिए हैं। मामले में अगली सुनवाई में गवाह पेश करने के लिए 16 फरवरी तय की गई है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, एनआरएचएम के तहत अब तक सीबीआई 76 एफआईआर कर चुकी है। इनमें करीब 52 मामलों में कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किए जा चुके हैं। पांच मामलों में प्रदीप शुक्ला व बाबू सिंह कुशवाह भी शामिल हैं। सोमवार का सीबीआई के विशेष न्यायाधीश अतुल कुमार गुप्ता की अदालत में एक मामले में चार्ज पर बहस पूरी होने के बाद सभी आरोपियों पर आरोप तय कर दिए गए। इस मामले में बाबू सिंह कुशवाहा, प्रदीप शुक्ला के अलावा पूर्व महानिदेशक स्वास्थ्य डॉ. एसपी राम, दवा कारोबारी सौरभ जैन, सुनित सिंघल, एसएम त्रिपाठी, विपुल कुमार गुप्ता, अतुल श्रीवास्तव व वीके चौधरी शामिल हैं। सीबीआई के वरिष्ठ लोक अभियोजक वीके शर्मा ने बताया कि सभी आरोपियों पर करोड़ों रुपये की दवा व मेडिकल उपकरण की खरीद फरोख्त में घोटाला करने का आरोप है। अदालत ने सभी पर 120बी, 420, 467, 468, 471, 13(2) व 13(1)(डी) के तहत मुकदमा चलाने के आदेश दिए हैं।