नहीं पहुंचे अमित शाह, अब क्लास लेंगे माथुर व शर्मा

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amit-shahलखनऊ: भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ऐन वक्त पर लखनऊ में होने वाली सदस्यता अभियान की समीक्षा बैठक में नहीं पहुंचे। अब उत्तर प्रदेश के प्रभारी ओम माथुर के साथ राष्ट्रीय सदस्यता प्रभारी व पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. दिनेश शर्मा पार्टी के प्रदेश में सदस्यता अभियान में लापरवाही बरते रहे कार्यकर्ता तथा पदाधिकारियों की क्लास लेंगे।

माथुर तथा डॉ. शर्मा उत्तर प्रदेश में भाजपा के डेढ़ करोड़ सदस्यता का लक्ष्य पूरा करने के इस अभियान की खामियां तलाशेंगे। लापरवाही बरत रहे पदाधिकारियों की क्लास लेगें और संगठन करे दुरुस्त करने का मंत्र भी देंगे। समीक्षा दिन में 12 बजे गन्ना किसान संस्थान में शुरू हो गई। जिसमें पार्टी के सदस्यता अभियान से जुड़े जिला अध्यक्ष स्तर तक के पदाधिकारियों को बुलाया गया है। इस बैठक में प्रदेश अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी और महामंत्री संगठन सुनील बंसल भी है। प्रदेश पदाधिकारियों के साथ प्रभारी व प्रवासी कार्यकर्ताओं को भी बुलाया गया है।

दिल्ली में व्यस्तता के कारण नहीं पहुंचे शाह

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह आज दिल्ली में अपनी व्यस्तता के कारण लखनऊ नहीं आए। आज उनकी मौजूदगी में बसपा के पूर्व सांसद दारा सिंह चौहान समर्थकों के साथ भाजपा की सदस्यता ग्रहण करेंगे। इनके साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के कद्दावर नेता अवतार सिंह भड़ाना भी समर्थकों के साथ भाजपा का दामन थामेंगे। अवतार सिंह भड़ाना मेरठ से सांसद रहे थे। इन दिनों भड़ाना हरियाणा में सक्रिय हैं। इनको अमित शाह पार्टी की सदस्यता दिलाएंगे। इसी अंदाज में सपा नेत्री व पूर्व मंत्री अनुराधा चौधरी को भी बीते दिनों भाजपा में शामिल किया गया था।

सदस्यता अभियान में फिसड्डी फर्रूखाबाद जिले में चिह्नित

सदस्यता अभियान में पीछे चलने वाले जिले भी चिह्नित किए जाएंगे। सूत्रों के अनुसार भदोही रामपुर, महराजगंज, हमीरपुर, पीलीभीत, बलरामपुर व फर्रूखाबाद में सदस्य बनाने की रफ्तार अन्य जिलो के मुकाबले काफी सुस्त है। जिन सांसदों व विधायकों के अलावा पदाधिकारियों ने अभियान में विशेष दिलचस्पी नहीं दिखाई है उनकी सूची भी रविवार को राष्ट्रीय अध्यक्ष व प्रभारी से समक्ष पेश की जाएगी। भाजपा ने उत्तर प्रदेश में अभी तक करीब एक करोड़ दो लाख सदस्य बनाए हैं, परन्तु वरिष्ठ नेताओं के अधिक रुचि नहीं लेने के कारण सदस्यता की रफ्तार में कमी आयी है। प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले दो वरिष्ठ पदाधिकारियों के बीच बढ़ते तनाव को भी अभियान की गति सुस्त रहने की वजह माना जा रहा है।