फर्रुखाबाद:(राजेपुर)थाना क्षेत्र के गांव बेचे पट्टी में पागल कुत्ते के काटने से मंगलवार को भैंस की मौत हो जाने के बाद उसका दूध पीने वाले लोगों को रैबीज हो जाने की आशंका से गांव में अफरातफरी मच गई। कुछ लोगों को उल्टियां होने पर पूर्व प्रधान बुधवार को गांव के लगभग आधा सैकड़ा पुरुष, महिलाओं व बच्चों को लेकर लोहिया अस्पताल पहुंचे। सीएमएस के निर्देश पर ओपीडी का समय समाप्त हो जाने के बावजूद तीन दर्जन लोगों को एआरबी इंजेक्शन लगाये गये। शेष बचे एक दर्जन से अधिक लोगों को दूसरे दिन आकर इंजेक्शन लगवाने की कहकर वापस कर दिया गया।
राजेपुर क्षेत्र की ग्राम पंचायत कोलासोता के पूर्व प्रधान राकेश सिंह ने बताया कि बेचे पट्टी निवासी रामधनी लगभग 20 दिन पूर्व नखासे से भैंस खरीद कर लाये थे। चार-पांच दिन बाद एक पागल कुत्ते ने भैंस को काट लिया था, लेकिन गांव वालों ने इस घटना को गंभीरता से नहीं लिया। इस बीच कुत्ता मर गया। 14 दिन बाद बाद भैंस पर रैबीज का असर हुआ तथा मंगलवार को भैंस भी मर गई। इस दौरान परिवार व गांव के अन्य लोग उस भैंस का दूध पीते रहे। कुछ लोगों को बुधवार को उल्टियां होने से ग्रामीणों को भी रैबीज का असर होने का डर सताने लगा। लोगों ने उन्हें घटना की जानकारी दी। इस पर वह गांव के लोगों को लोहिया अस्पताल लेकर आये। अस्पताल की ओपीडी का समय समाप्त हो गया था। इस पर सीएमएस से इस संबंध में बातचीत करने पर उन्होंने इंजेक्शन लगाने के निर्देश दे दिये।
उन्होंने बताया कि गांव की राजेश्वरी, धनीराम, रामरतन, बलराम, बृजपाल सहित लगभग तीन दर्जन पुरुष, महिलाओं व बच्चों को इंजेक्शन लग पाये थे। इसी बीच पहुंचे एक मीडिया कर्मी के हस्तक्षेप करने पर विवाद हो गया। इस पर इंजेक्शन रूम बंद कर दिये जाने से एक दर्जन से अधिक लोगों को एआरबी इंजेक्शन नहीं लग सके। उन्हें गुरुवार को अस्पताल आकर इंजेक्शन लगवाने की कहकर वापस कर दिया गया। अब इन लोगों को गुरुवार को फिर आना पड़ेगा।
मुख्य चिकित्साधीक्षक डा.रतन कुमार ने बताया कि ग्रामीणों ने उनके पास आकर समस्या बतायी थी। दूध पीने से रैबीज होने की आशंका नहीं है। फिर भी ग्रामीणों की संतुष्टि के लिये उन्हें फिजीशियन के पास भेज दिया था। फिजिशियन के निर्देश पर ही इंजेक्शन लगवाये गये।
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा.पुष्प कुमार ने बताया कि पागल कुत्ते के काटने से किसी भी दुधारू पशु के दूध में कीटाणु नहीं आ सकते। दुधारू पशु की लार में कीटाणु आ सकते हैं। जिससे बीमारी की आशंका हो सकती है। उन्होंने कहा कि दूध में रैबीज का प्रभाव नहीं पड़ता। यदि पागल कुत्ते के काटने वाली भैंस का दूध पीने वाले ग्रामीण बीमार हुये हो तो किसी अन्य बीमारी का प्रभाव हुआ होगा।