यूपी के नये डीजीपी की तलाश शुरू

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DGPलखनऊ: उत्तर प्रदेश पुलिस के मुखिया एएल बनर्जी की सेवानिवृत्ति में अब 19 दिन ही बाकी है, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार अभी तक इस पद के लिए योग्य अफसर की तलाश में जुटी ही है। सरकार पशोपेश में है कि किसे डीजीपी बनाये। सरकार के पसंदीदा अफसर इस पद की दौड़ में अभी काफी पीछे हैं और इस पद के पात्र हैं उन पर पिछली सरकारों का ठप्पा होने से सरकार को उन पर भरोसा नही है।

एएल बनर्जी के 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त होने के बाद डीजी स्तर के अफसरों में 1977 बैच के अरुण कुमार गुप्ता 31 जनवरी 2015 और सुव्रत त्रिपाठी जुलाई 2015, 1979 बैच के रंजन द्विवेदी अप्रैल 2016 और एके जैन मार्च 2015 में सेवानिवृत्त होंगे। एके गुप्ता का कार्यकाल महज एक माह होने और सुब्रत त्रिपाठी कुछ विशेष वजहों से डीजीपी की दौड़ में शामिल नहीं हैं। यद्यपि माह भर के कार्यकाल में आरके तिवारी और दो माह के लिए रिजवान अहमद डीजीपी बनाये जा चुके हैं। रंजन द्विवेदी और एके जैन को लेकर कयास तो बहुत हैं लेकिन सरकार का रुख इनके नाम पर बहुत साफ नहीं है। फिर भी इन दोनों का नाम चयन सूची में शामिल करने की चर्चा खूब है।

1980 बैच के सुलखान सिंह की सेवा तो सितंबर 2017 तक है लेकिन उन पर बसपा सरकार के करीबी होने का ठप्पा है। 1981 बैच के कमलेन्द्र प्रसाद की पहले तो मजबूत दावेदारी थी लेकिन मशहूर गीतकार संतोष आनंद के पुत्र संकल्प आनन्द और पुत्रवधू नरेश नंदिनी के आत्महत्या मामले में मुकदमा दर्ज होने के बाद वह विवादित हो गए। 1981 बैच के ही विजय सिंह पर भी बसपा सरकार का ठप्पा है। ऐसे में अगर रंजन द्विवेदी और एके जैन के नाम पर विचार नहीं हुआ तो 1982 बैच के विजय कुमार गुप्ता व प्रवीण सिंह इस दौड़ में आगे हो सकते हैं। गुप्ता की जनवरी 2017 और प्रवीण सिंह की जून 2018 तक सेवा बची है।

इनके बाद प्रदेश में डीजी स्तर का कोई अफसर नहीं है। इस बीच अगर डीपीसी हुई तो डॉ. सूर्य कुमार शुक्ला व आरआर भटनागर को डीजी बनने का अवसर मिल सकता है। ये दोनों अफसर सरकार के करीबी माने जाते हैं और महत्वपूर्ण विभाग संभाल रहे हैं। संभव है कि इनमें से किसी की लॉटरी लग जाए। वैसे बात तो यहां तक चल रही है कि अगर केंद्र सरकार ने आइपीएस का कैडर रिव्यू कर दिया तो 1983 बैच के जगमोहन यादव भी डीजी बन जायेंगे। राज्य सरकार ने डीजी का पद भी बढ़ाने की मांग की है। फिर दिसंबर 2015 में सेवानिवृत्त हो रहे जगमोहन यादव को भी यह मौका मिल सकता है। फिलहाल उप्र के डीजीपी के लिए अभी तक किसी एक व्यक्ति के नाम पर दावा नहीं किया जा सकता है।