बच्चो को बाटने के लिए रेडीमेड ड्रेसों का जखीरा तैयार, फर्जी नामांकन से लेकर नाप तक का खेल

Uncategorized

Redimade-Dressफर्रुखाबाद: जिलाधिकारी भले ही लाख प्रयत्न कर ले मगर बेसिक शिक्षा में बच्चो को बाटने के लिए घटिया रेडीमेड ड्रेस वितरण से शायद ही रोक पाये| इसके लिए बाकायदा योजनावद्ध तरीके से खाने पीने का खाका तैयार हो चुका है| जिस अधिकारी के पास जितने ज्यादा चार्ज है वो उतना बड़ा ही हिस्सा पायेगा और ऊपर अदा करेगा| कुल मिलाकर बच्चो के शरीर पर एक बार फिर से कबाड़ा ड्रेस होगी|

फर्जी नामांकन भी करा लिया गया-
खबर है कि निरीक्षणों के समय स्कूलों में उपस्थिति कम होने का बड़ा प्रमाण फर्जी नामांकन है| फर्जी नामांकन स्कूल में शिक्षको की ज्यादा जरुरत पैदा करने, मिड डे मील में बच्चो का हिस्सा खाने और ड्रेस एवं वजीफा हड़पने के लिए किया जाता है| नामांकित बच्चे प्राथमिक सरकारी स्कूलों में न पढ़कर उसी गाव या आसपास के निजी स्कूलों में पढ़ते है| ऐसे ही एक स्कूल उच्च प्राथमिक (जूनियर) नगला कलार में वर्तमान में नामांकित बच्चे केवल ५२ है जबकि इस स्कूल में ड्रेस के लिए १०५ बच्चो की संख्या भेजी गयी थी जिसके सापेक्ष 105 बच्चो की ड्रेस का पैसा ही भेजा गया है|

एबीआरसी और खंड शिक्षा अधिकारियो के रिश्तेदार और मित्र बने ड्रेस सप्लायर-
ज्यादातर एबीआरसी और खंड शिक्षा अधिकारियो के इशारे पर ही रेडीमेड ड्रेस के सप्लायर स्कूलों में ड्रेस पंहुचा रहे है| कई स्कूलों में इसके स्टॉक पहुंच भी चुके है| नगर क्षेत्र में एक जिला समन्वयक के साले साहब भी इस काम में जोर शोर से लगे है| वही शमसाबाद में एक सप्लायर एक एबीआरसी के नाम का दबाब बनाकर ये खेल कर रहा है| मोहम्दाबाद में एक ड्रेस निर्माता ने अब तक 70000 से ज्यादा ड्रेस तैयार करवा ली है जिसकी सप्लाई ज्यादातर छोटे छोटे सप्लायर कर रहे है|

140 रुपये में मिल रही है एक ड्रेस-
वैसे तो कपडा लेकर नाप से बच्चो की ड्रेस बनबाने में मास्टर साहब सरकार को कोसने लगते है| मगर बच्चो के भविषय निर्माता काला धंधा करते समय ये ड्रेस केवल 150 रुपये खरीदते है| मोहम्दाबाद में किसी गुप्ता के ड्रेस कारखाने से 130 से 140 रुपये की चलती है| 50 रुपये में स्कूल इंचार्ज से लेकर ऊपर के अधिकारी तक का हिस्सा होता है| स्कूल में ये हिस्सा मुह बंद रखने के एवज में सहायक अध्यापक और शिक्षा मित्र के बीच भी बताता है| इसके अलावा फर्जी पंजीकृत बच्चो के नाम पर केवल पैसे निकाले जाते है| इस काम में पूरा शिक्षा विभाग एक राय होकर काम कर रहा है भले ही मीडिया में उनके कड़क बयान छप रहे हो कि “अगर रेडीमेड ड्रेस बाटी तो फैला की खैर नहीं”|

नाप के फोटो का भी खेल-
आदेश था की बच्चो की नाप लेकर ड्रेस सिलवायी जाए| इसके लिए भी रास्ता निकाल लिया गया है| नाप लेने की फोटो मास्टरों ने खूब अपने मोबाइल में फोटो खींचे है जबकि ड्रेस कोई और सप्लाई कर रहा है|

[bannergarden id=”8″] [bannergarden id=”11″]