जगदलपुर : बस्तर की सयानी माताएं ससुराल जा रही अपनी बेटियों को पुत्र सुख और समृद्धि के लिए एक ऐसा बीज देती हैं, जिसे दुनिया का सबसे छोटा शिवलिंग माना जाता है। वे ऐसा इसलिए करती हैं चूंकि शिव को बूढ़ादेव माना जाता है। वैद्य भी मानते हैं कि शिवलिंगी से संतान प्राप्ति की दवा तैयार की जाती है।आधा सेंटीमीटर से भी छोटे आकार के शिवलिंगी की लताएं बस्तर के जंगलों में बहुतायत में पाई जातीं हैं।
कांगेरघाटी राष्ट्रीय उद्यान से लगे ग्राम तीरथगढ़ साधुराम मौर्य, छिंदबहार धिराजी पुजारी मंगलसाय और चंद्रगिरी के मनसुख व उनकी पत्नी देवबती बताती हैं कि शिवलिंगी शिवलिंग जैसा होता है इसलिए ब़ूढादेव का प्रतीक मानकर सम्मान दिया जाता है। चूंकि शिव को संतान दाता माना जाता है, इसलिए बेटियों को शिवलिंगी भेंट करने की परंपरा है।
इधर कामानार के वैद्य महादेव नाग बताते हैं कि शिवलिंगी, जिसे बस्तर और छत्तीसगढ़ में बिलईपोटी कहा जाता है। इस वनौेषधि का उपयोग ऐसी महिलाएं करती हैं जिन्हें संतान नहीं हो रही है। बेटियों को बांधपन का दंश ना झेलना पड़े, इसलिए चुपचाप बिलईपोटी बीज देने की पुरानी परंपरा है।