फर्रुखाबाद: फिलहाल तो यूपी में पुलिस की सीरत और सूरत बदलती नहीं दिखाई पड़ रही| सत्ताधारी नेताओ और पैसे के दम पर थानेदारी मिलने के बाद दरोगा की भी बड़ी कमजोरी इन नेताओ और उनके चमचो के हितो की रक्षा करना बन जाता है| हद तो तब हो जाती है जब अदालतों के आदेशो को भी पुलिस वाला खादी के सामने परोस देता है| ऐसे में पीड़ित व्यवस्था परिवर्तन और सत्ता परिवर्तन का इन्तजार न करे तो क्या करे|
रिपोर्ट लिखना तो दूर बुजुर्ग महिला को बेइज्जत कर थाने से भगाया
थाना मेरापुर के ग्राम गनेशपुर निवासी आशादेवी पत्नी दाताराम थाने में रिपोर्ट लिखाने गयी। बुजुर्ग महिला दो दिन से थाने के चक्कर लगा रही है। महिला के पास सिविल जज(जू.ङि) कायमगज का अपंजीकृत वसीयत दि.11.2.2002 उसके पक्ष में है जिसके मुताबिक लालमन व वादी एक सत्य प्रलेख, सम्पति से वादी को वेदखल न करे और न ही वादी के शान्ति पूर्ण अध्यावासन मे हस्तक्षेप करे| इस आदेश को लेकर महिला थाने गयी थी। चूँकि गाव के ही परिवादी उसे परेशान कर रहे थे| मगर पुलिस ने उसे न्याय दिलाने की जगह उसके प्रतिवादी को ही संरक्षण देने शुरू कर दिया|
महिला ने जेएनआई को बताया कि थाने में दरोगा ने कहा ये बुढिया कल भी आई, आज फिर आ गयी इसे बैठा लो। महिला के सामने दरोगा ने गाव के प्रधान रामकिशन को फोन किया। प्रधान ने दरोगा से कहा जमीन को जोता न जायेऔर महिला को थाने से भाग जाने को कहा। दरोगा ने कोर्ट के आदेश पर पानी फेर दिया। महिला परेशान है उसकी रिपोर्ट भी नही लिखी। विपक्षी मानसिह,सुरेन्द्र,राजेन्द्र पुत्र चरनसिह ब राजू, प्रेमबाबू पुत्र शिवदयाल दरवाजे पर लाठिया डडे पटकते ,धमकाते है। महिला को घर से बाहर नही जाने देते है। अब सवाल है कि अखिलेश राज में बुजुर्ग महिला क्या उस नेता के दरवाजे पर जाए जहाँ से फतेहगढ़ के थाने और चौकियां चलती|
[bannergarden id=”8″] [bannergarden id=”11″]