फर्रुखाबाद: रमज़ान के पाक मौके पर केन्द्रीय कारागार फतेहगढ़ का मंज़र बदला – बदला सा है| यहां सुबह रोज़े की सहरी के बाद फजर की नमाज़ से लेकर रोज़ा अफ्तार और रात ईशा की नमाज़ तक बंदी खुदा की इबादत में लगे रहते है| जेल में रमज़ान के मौके पर मुस्लिम बंदी ही नही 2 हिन्दू बंदी भी रोज़ा रख रहे है| और खुदा से अपने गुनाहो की माफ़ी मांग कर सद मार्ग पर चलने की दुआ मांगते है| रमज़ान के मौके पर केन्द्रीय कारागार आपसी सदभाव का एक प्रतीक बन गया है| इस्लाम धर्म में रमज़ान का महीना सबसे पाक समझा जाता है ! इस महीने में हर इंसान सभी बुराई को छोड़ कर खुदा की इबादत में लग जाता है| इंसान अपने घर पर ही नही जहाँ होता है वहीँ पर खुदा की इबादत करता है| रोज़ा सिर्फ इबादत के लिए ही नहीं बल्कि एकता और सौहार्द सदभाव का भी प्रतीक है| जेल में सभी बंदियों का घर बार छूट जाता है सिर्फ साथ रहने वाले बंदी ही परिवार का हिस्सा होते है| यहाँ सभी बंदी हिन्दू मुस्लिम मिल जुल कर रहते है और एक दूसरे के त्यौहार भी मिल जुल कर मनाते है|
केंद्रीय कारगर यादवेन्द्र शुक्ला के अनुसार रमज़ान के मौके पर जेल प्रशासन भी उन सभी बंदियों को जो रोज़ा रख रहे है को हर तरह से सभी सुविधाए सहरी अफ्तार व् नमाज़ आदि के लिए सभी इंतिज़ाम कर रहा है| रोज़ा रखने वाले बंदियों को काम आदि की भी छूट दी जा रही है|
रमज़ान के मौके पर केन्द्रीय कारागार में लगभग 200 बंदी रोज़ा रख रहे है| यह आपसी सदभाव व् सौहार्द का प्रतीक है| रोज़ा रखने वाले सभी बंदियों को सहरी अफ्तार व् नमाज़ का शासन द्वारा विशेष इंतिज़ाम किया गया है| खजूर और फल मुहैया कराये जा रहे है| कुछ समाजसेवी संगठन भी उनके खाने का इंतजाम कर रहे है| जुमे की नमाज अत कराने के लिए शहर से क़ाज़ी आते है|
जेल में बंदी अपने गुनाहो की माफी मांग कर खुदा से तौबा कर रहे है ! रमज़ान सिर्फ मुसलमान ही नहीं बल्कि हर मज़हब के मानने वालो के लिए भगवान की भक्ति या खुदा की इबादत करना सिखाता है ! आखिर जेल मे तो सभी बंदी एक दुसरे के परिजन बन जाते है ऐसे में तो सभी धर्म के लोग एक परिवार के सदस्य होते है ! और एक दूसरे के सभी त्यौहार मिल जुलकर मनाते है|
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