एबीआरसी के चयन के विज्ञापन में भ्रम की स्थिति से चयन प्रक्रिया संदेह के घेरे में

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corruptionफर्रुखाबाद: 34 एबीआरसी हटकर नए सिरे से चयन करने की प्रक्रिया पर कई शिक्षक सवाल उठा रहे है| नए चयन में 40 एबीआरसी का चयन होना है इसके लिए समाचार पत्रो में पात्रता की शर्तो को स्पष्ट न करके संदेह की स्थिति उत्पन्न की गयी है| शासनादेश के अनुसार तीन साल पहले चयन किये गए एबीआरसी का कार्यकाल एक बार और बढ़ाया जा सकता था| 34 में से 10 का कार्यकाल बढ़ाया भी गया था| मगर एक महीने बाद सभी पदो की के लिए परीक्षा कराने का आदेश कर दिया गया| अब सवाल ये है कि जिन 10 एबीआरसी का कार्यकाल बढ़ाया गया था और उनकी गुणवत्ता सही थी तब उनकी जगह के लिए भी परीक्षा कराने की कौन सी स्थिति बन गयी| इसी के साथ नए चयन के लिए होने वाली परीक्षा में पुराने हटाये गए 34 एबीआरसी परीक्षा दे सकेंगे या नहीं ये लिखा पढ़ी में अभी तक स्पष्ट नहीं किया गया है|

वहीँ जो एबीआरसी अगर इस काबिल नहीं थे कि उनकी सेवाएं बढ़ाई जा सके तो एबीआरसी पद के लिए तो ये नाकारा हो ही गए| और अगर इन्हे दुबारापरीक्षा में शामिल कर लिया जाता है तब इन्हे हटाने और इनकी परीक्षा दुबारा कराने के लिए सरकारी पैसे और समय की बर्बादी क्यों की जा रही है| कई शिक्षको ने बताया कि भ्रम की स्थिति बनी हुई है| कोई कह रहा है कि हटाये गए परीक्षा दे सकते है और कोई अफसर कह रहा है कि नहीं दे सकते| कुछ शिक्षक चयन प्रक्रिया को लेकर अदालत में जाने की भी सोच रहे है|

आखिर एबीआरसी पद पर क्यों है चयन का लालच-
बेसिक शिक्षा में सर्व शिक्षा अभियान के तहत सृजित ये पद मलाईदार होता है| केंद्र और राज्य सरकार से आने वाले विभिन्न प्रकार के बजट को एबीआरसी से खर्च किया जाता है| ये बजट हजारो में नहीं लाखो में होता है| शिक्षको की ट्रेनिंग, कंप्यूटर ट्रेनिंग, ग्राम शिक्षा समिति की ट्रेनिंग और तमाम तरह के बजट इन्हे खर्च करने को मिलते है| इसी के साथ स्कूलों में दौरा कर गुणवत्ता सुधार करने की जिम्मेदारी होती है| जिसे ये छापामारी कहते है| गायब मिले शिक्षक से कुछ रिश्वत वसूल लेना| अभिलेख पूरे न होने पर त्योहारी ले लेना जैसे निम्न और घटिया तरीके से पैसा पैदा करने का सौभाग्य भी इस पद पर मिलता है| शिक्षा की गुणवत्ता की कोई बात नहीं होती| जिला समन्वयक इन एबीआरसी की लगाम अपने पास रखते है| और तमाम तरह के खर्च होने वाले बजट पर अपनी मुहर अपना हिस्सा लेकर लगाते है| अब पिछले वर्षो में जिस जिस एबीआरसी ने अपना हिसाब किताब जिला समन्वयको के साथ पाक साफ़ रखा होगा| ठीक ठाक मख्खन लगाया होगा उसका ध्यान तो रखा ही गया होगा| अब बिना स्कूल में बच्चो को पढ़ाये बिना इतनी मलाई खाने की गुंजाईश जहाँ हो वहां कौन नहीं जाना चाहेगा|

कौन कौन से एबीआरसी का हुआ था रेनोवल-
34 में से 10 एबीआरसी का रेनोवल भी इस साल कर दिया गया था| जिन का नहीं हुआ था वे आरोप लगा रहे थे कि उनसे रेनोवल के बदले में पैसे मांगे जा रहे थे| मामला जब नहीं बना तो डीएम श्री चौहान की नजर न पद जाए इस के डर से सभी पदो पर परीक्षा कराने का एलान कर दिया गया| हालाँकि कुछ शिक्षको को संदेह है कि उन एबीआरसी को तो रखा ही जायेगा जिनका रेनोवल हो चुका था| रेनोवल वाले ए बी आर सी थे- कमालगंज ब्लाक के पियूष कटियार, राजेश यादव, नवाबगंज के महेंद्र यादव, शशिकांत शुक्ल और इमरान शेर, शमसाबाद के सभी पांचो मनोज कुमार, मनोज कुमार दुबे, मनोज कुमार गंगवार, शिवकुमार सिंह

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