चिट्ठी आई है- मुख्यमंत्री की चिट्ठी साहब ने आगे बढ़ा दी, छोटे साहब ने और आगे बढ़ा दी

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Editor1 जुलाई से हर साल शिक्षा का नया सत्र शुरू होता है| इस बार भी हुआ कोई नयी बात नहीं है| पिछले साल की चिट्ठियों को निकाल लखनऊ के साहब नए साल की तारीख डाल मंडलों और मुख्यालयों पर विभिन्न प्रकार की चिट्ठियां चलाना शुरू कर देते है| चिट्ठियों के कई प्रकार होते है| मगर इनका मजमून हर साल एक जैसा ही होता है| कुछ संख्या या वर्ष का हेरफेर भर करना होता है| मिड डे मील की चिट्ठी, निशुल्क पुस्तको की चिट्ठी, बजट की चिट्ठी, शिक्षा गुणवत्ता सुधार की चिट्ठी, निरीक्षणों की चिट्ठी, ट्रेनिंग की चिट्ठी, ट्रांसफर पोस्टिंग और छुट्टी की चिट्ठी| स्कूल खुलने और बंद होने की चिट्ठी| महिलाओ के प्रसूति अवकाश से संबंधित चिट्ठी| बगैरह बगैरह| जिलो से आख्याये मंगाने की चिट्ठी| जिलो से मासिक रिपोर्ट मंगाने की चिट्ठी| ऐसी-ऐसी चिट्ठियां आती है लगता है कि वर्ल्ड क्लास पढ़ाई और शिक्षण व्यवस्था इस साल तो जरूर हो ही जाएगी| और इस बार के लखनऊ मुख्यालय के अफसर मुख्यमंत्री को प्राथमिक शिक्षा के लिए वर्ल्ड बैंक से इनाम दिलाकर ही मानेगा|

इन चिट्ठियों का होता क्या है| आम आदमी के लिए ये जानना जरुरी है|
मुख्य सचिव से लेकर शिक्षा सचिव चिट्ठी मंडलायुक्तों को, जिलाधिकारियो को, मंडलों पर बैठे उप/सहायक शिक्षा निदेशकों को और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियो को सीधे सीधे ईमेल से भेजते है| फिर भी यही चिट्ठी जिलाधिकारी और सहायक/उप शिक्षा निदेशक एक बार फिर से अपने सु-हस्ताक्षर से जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियो को अग्रसारित करते है| अब जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के यहाँ एक जैसी कई चिट्ठियां कई मार्गो से होती हुई पहुंच जाती है| जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी इन चिट्ठियों को खंड शिक्षा अधिकारियो को मार्क कर अग्रसारित कर देते है| कई बार तो बगैर पढ़े हुए ही| जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी का स्टेनो एक चार्ट बनाकर रखता है जो हर साल काम आता है| कब कब कौन सी चिट्ठी का जबाब जाना है| आमतौर पर खंड और नगर शिक्षा अधिकारी के यहाँ से आंकड़े नहीं आते तब जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में ही खंड शिक्षा अधिकारियो को बुलाकर उनके आंकड़े बनबाकर हस्ताक्षर करवा लिए जाते है| और उसको इक्कठा करके एक नयी चिट्ठी जबाबी बन जाती है जिसे शिक्षा सचिवो/ शिक्षा निदेशकों को भेज दिया जाता है| प्रतिलिपि जिलाधिकारी और उप/सहायक शिक्षा निदेशकों को भी भेज दी जाती है| इसके बाद इन चिट्ठियों का क्या होता है ये आज तक कोई जान नहीं पाया| यही रहस्य है| क्योंकि सुधार कोई दिखता नहीं| बजट हर साल खर्च हो ही जाता है| हाँ प्राथमिक स्कूलों से नामांकन साल दर साल घट रहा है जबकि आबादी लगातार बढ़ रही है|

इस साल भी सत्र शुरू होते ही चिट्ठी आई है|- लोहिया ग्राम के प्राथमिक स्कूलों के बच्चो को होम वर्क देना और चेक करना-

मंडलीय सहायक बेसिक शिक्षा निदेशक विनय कुमार गिल की चिट्ठी फर्रुखाबाद के जिला बेसीक्षा अधिकारी के पास आई है| चिट्ठी में मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री और मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा का हवाला दिया गया है कि ये तीनो बच्चो की शिक्षा के प्रति अत्यंत चिंतित है और प्राथमिकता के आधार पर सुधार चाहते है| कोई खास बात नहीं, इससे पीछे के सालो में भी सभी चिंतित रहे ही रहे है| गिल साहब की पुरानी चिट्ठियों को अध्ययन करने पर मिलता है कि वे अपने बड़े अफसरों और सरकार की छवि के प्रति अत्यंत गंभीर और चिंतित रहे है| कुछ बाते गिल साहब ने अपने पास से लिखी है या फिर उपरोक्त तीनो बड़े अफसरों और मुख्यंत्री के निर्देश है कहा नहीं जा सकता| वैसे बीच के अफसर सिर्फ नौकरी करते है कोई नया कारनामा नहीं करते| मगर गिल साहब ने लिखा है कि घोषित लोहियां ग्राम समग्र विकास योजना के तहत चयनित गावो में विशेष रूप से मिड डे मील, किताबो का वितरण, बच्चो की उपस्थिति, हैण्डपम्प, रसोई बगैरह बगैरह बिंदु पर ध्यान दिया जाए और खंड शिक्षा अधिकारियो के माध्यम से रिपोर्ट वापस भेजी जाए| मायावती की सरकार में भी ऐसे ही पत्र आते थे फरक बीएस इतना था कि तब लोहिया ग्राम की जगह अम्बेडकर ग्राम लिखा होता था| गिल साहब अपने 12 बिंदु के परम्परागत पत्र के बाहरवें बिंदु में शिक्षा की गुणवत्ता के सुधार के लिए तीन उपबिंदु लिखते है-
१- कुल अध्यापक/शिक्षा मित्रो की संख्या
२- छात्रों को गृह कार्य देने की स्थिति
३- प्रत्येक अध्यापक द्वारा छात्रों को दिए कार्यो की स्थिति
क- कापियों का निरीक्षण
ख- पढ़ाये गए पाठ्यक्रम में छात्रों का बौद्धिक स्तर
ग- कुल छात्रों में कमजोर छात्रों की संख्या और उनके सुधार के लिए उठाये गए कदम

विश्लेषण- गिल साहब भी बखूबी जानते है कि जो चिट्ठी उन्होंने लिखी है उससे क्या हो जायेगा| छात्रों का बौद्धिक स्तर से बहुत ही ऊँचा है क्योकि हर कक्षा में बिना परीक्षा कराये सभी को अव्वल नंबर देकर उन्ही शिक्षको ने प्रमोट किया होगा जो अब अगली कक्षा में पढ़ा रहे है| रही बात होम वर्क की| तो देगा कौन? शिक्षक स्कूल खुलने के समय से एक घंटे बाद आएंगे और बीच में मिड डे मील में उलझ जायेंगे| छुट्टी समय से होगी जो गाव का शिक्षा मित्र करायेगा और मास्टर साहब को विभिन्न प्रकार के कामो की वजह से छुट्टी से पहले ही स्कूल छोड़ना पड़ेगा तो ऐसे में होम वर्क कैसे हो पायेगा| क्योंकि शिक्षको को सभी सरकारी काम और शिक्षण से अतिरिक्त काम भी शिक्षण समय में ही निपटाने है| शिक्षक संघ के नेता कह ही चुके है कि शिक्षण समय के बाद वे कोई काम नहीं करेंगे| ऐसी हालत में गिल साहब की चिट्ठी में लिखा होम वर्क और शिक्षा की गुणवत्ता का बिंदु कैसे पूरा है पायेगा| मगर गिल साहब की चिट्ठी मार्क होकर खंड शिक्षा अधिकारियो को आगे अग्रसारित करने के लिए भेज दी गयी है……नए सत्र में सरकारी चिट्ठियों का आना जाना लगा ही रहेगा, ये बहुत खूब उम्दा कामचोरी वाली सरकारी नौकरी है….. जिसमे बड़े बड़े डिग्रीधारी क ख ग पढ़ाने की नौकरी पाने के लिए मरे जा रहे है|
Vinay kumar gill letter