फर्रुखाबाद: बेसिक शिक्षा परिषद में घोटालो पर घोटाले होते रहते है और मौके पर मौजूद बेसिक शिक्षा अधिकारी इन घोटालो पर पर्दा डाल अपना भी जुगाड़ लगाते रहे है| मगर जाने के बाद अब तक कई बीएसए कार्यवाही के घेरे में आ चुके है| किताबो के घोटालो में जो हिसाब किताब वर्तमान प्रभार संभाले बेसिक शिक्षा अधिकारी भगवत पटेल ने तैयार किया है वो बड़ा ही हास्यास्पद है| पुरानी किताबो को मुजरा करने के लिए बेसिक शिक्षा अधिकारी ने दलील दी है कि पुरानी किताबे साक्षरता अभियान वालो को दे दी गयी| मगर साहब ये जानना भूल गए कि साक्षरता केंद्र तो जिले भर में वास्तविकता में बंद चल रहे है| प्रेरक चयन अभियान शुरू होने के एक साल बाद भी पूरे नहीं हो पाये है| और तो और सर्व शिक्षा अभियान की पुस्तके साक्षरता अभियान में किसके निर्देश या अनुमति के बाट दी गयी जबकि दोनों अभियानों का बजट अलग आता है| और साहब इतने बड़े ही ईमानदार थे तो नरेंद्र सरीन स्कूल के गोदाम में पड़ी एक लाख से ज्यादा स्लेट सड़ रही है उन्हें साक्षरता अभियान में क्यों नहीं बाट दी क्योंकि अनपढ़ को पहले स्लेट पर क ख ग लिखना सिखाया जाता है, कविता तो वो बाद में याद कर पायेगा| किस फाइल में कितना मिल जाए इसकी उधेड़बुन में लगे साहब के पास शायद इन सवालो का जबाब नहीं होगा|
सर्व शिक्षा अभियान में बच्चो को निशुल्क पुस्तको का वितरण किया जाता है| इसमें 65 फ़ीसदी खर्च केंद्र सरकार करती है और 35 फ़ीसदी अंश राज्य सरकार करती है| फर्रुखाबाद जनपद में वर्ष 2001 से बच्चो को निशुल्क पुस्तको का वितरण शुरू कराया गया| फर्जी नामांकन का फायदा इन पुस्तको केलिए आने वाले बजट से भी मिला| असल बच्चो की मौजूदगी के सापेक्ष तीन गुने तक फर्जी नामांकन दिखा कर करोडो का फर्जीवाड़ा हर वर्ष होने लगा| पुस्तको के घोटाले में सबसे बड़ी भूमिका दफ्तरी ने निभाई| कैसे फर्जीवाड़ा होगा इसका खाका दफ्तरी ने ही खींचा| एक ही बाबू के पास पुस्तको का हिसाब किताब रखने का इंतजाम किया गया| जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी आते और जाते रहे| बड़े बड़े सख्त और ईमानदार होने का ढोल पीटते अधिकारी निशुल्क पुस्तको के घपले घोटाले में अपना हिस्सा वसूलते रहे| पुस्तको के घपलेबाजी में केवल बेसिक शिक्षा अधिकारी ही मालामाल नहीं हुए| एक कमेटी जो पुस्तको का सत्यापन करती है उसके सदस्य भी संदेह के घेरे से बाहर नहीं रह सकते| मगर जब घपले घोटाले की जाँच की बाट आती है तो चोर वाही कहलाता है जो फस जाता है|
तो अब तक वर्ष 2007 में हुए पुस्तक घोटाले में 7 साल पहले बेसिक शिक्षा अधिकारी और खंड शिक्षा रहे अफसर फस गए है| शासन में इनके खिलाफ कार्यवाही के लिए लिखा जा चुका है| जो वर्तमान में घपला घोटाला कर रहे है वे आज से 5 साल बाद फसेंगे| फर्रुखाबाद का ये इतिहास हो गया है कि यहाँ रहे बेसिक शिक्षा अधिकारी दागदार होकर ही गए और कुछ वर्षो बाद जांचो को निपटाने के लिए फर्रुखाबाद के फेर में फस गए| फिलहाल वर्तमान में भी निशुल्क पुस्तको के वितरण में घोटाला जारी है| पुस्तके अध्यापको को खुद स्कूल ले जानी पड़ रही है| मगर इसकी ढुलाई का पैसा अधिकारी बटोर ले जायेंगे| कुछ स्कूलों में पुरानी वर्क बुक भेजी जा रही है| ये वो वर्क बुक है जिनका पिछले साल के रहतिया में कोई हिसाब नहीं है| यानि कि नए वर्ष की वर्क बुक केवल बिल भुगतान के लिए दर्ज होंगी, स्कूलों में पुरानी वर्क बुक से ही काम चल जायेगा| तो गरीब बच्चो की शिक्षा के लिए खर्च होने वाले धन को लूटने वाले लोग झूठ के पुलिंदे से मीडिया और डीएम तक को बना रहे है| और 15 अगस्त पर राष्ट्र भक्ति दर्शाते हुए राष्टीय ध्वज लहराते हुए फोटो छपवाएंगे| देर रात में आज भी आल इंडिया रेडियो पर पुराने नगमो के जब सुनने को मिल जाता है- सैयां झूठो का बड़ा सरदार निकला…..बरबस ही बेसिक शिक्षा परिषद के कर्णधारो की याद आ जाती है|
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