मणीन्द्र की शहदत: जो शहीद हुए है उनकी जरा याद करो कुर्बानी

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JAIL 1फर्रुखाबाद: महान क्रांतिकारी एवं स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी मणीन्द्र नाथ बनर्जी का कल बलिदान दिवस है| उन्होंने देश को आजाद कराने के प्रयास में जेल के अन्दर अपने प्राणों की आहुति दी थी| शहीद की 81 वी पुण्य तिधि पर मुख्य अतिथि के रूप में जिलाधिकारी नरेन्द्र कुमार को आमंत्रित किया गया है और आसपास के जनपदों से स्वंत्रता संग्राम सेनानीओ व उनके वंशजो को भी बुलाया गया है| इस समारोह में अन्य कई शहीदों को भी याद किया जायेगा जो स्वराज के आन्दोलन में जेल के अन्दर शहीद हुए थे|
मणीन्द्र नाथ बनर्जी बचपन से ही बहुत ही जुझारू थे| उनका जन्म 13 फरवरी 1907 को माँ सुनैना देवी की कोख से वाराणसी में हुआ था| उनके पिता तारा चन्द्र होम्योपैथिक चिकित्सक थे और पितामह हरिप्रकाश अपर जिलाधिकारी के पद पर रहे और 1866 में अग्रेज सरकार के खिलाफ नौकरी छोड़ कर आन्दोलन में कूद पड़े|वही काकोरी कांड में राजेंद्र लहीडी को फांसी दिलाने में अपनी अहम भूमिका निभाने वाले सीआरडी केअपर अधीक्षक अधीक्षक जितेन्द्र नाथ बनर्जी की गोदौलिया वाराणसी में13 जनवरी 1928 में हत्या करके उन्होंने मौत का बदला ले लिया|
उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और दस वर्ष की सजा और तीन महा की तन्हाई कैद की सजा देकर फतेहगढ़ की सेन्ट्रल जेल भेज दिया गया| फैसले के खिलाफ उनकी माँ की अपील ख़ारिज कर दी गयी | जेल में बंद श्री बनर्जी ने अग्रेजो के अमानवीय अत्याचारों के खिलाफ अनशन कर दिया और 20 जून को 1934 को भारत माँ के इस लाल अपने साथी मन्मथनाथ की गोद में अंतिम साँस ली| जेएनआई शहीद को सलाम करता है| चित्र के माध्यम सेवह जेल की बैरक दिखायी गयी है जिसमे मणीन्द्र ने दम तोडा था|