MDM में लगी NGO के फर्जीबाड़े का भंडाफोड़

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फर्रुखाबाद: मध्यान्ह भोजन प्राधिकरण उत्तर प्रदेश के सहायक उप निदेशक संजीव कुमार सिंह की जांच में मनमाने ढंग से चयनित एनजीओ के मामले में जिला बेसिक शिक्षाधिकारी की कार्यगुजारी का भंडाफोड़ हुआ है|

* श्री सिंह ने अपनी जांच रिपोर्ट कार्रवाई के लिए विभागाध्यक्ष को सौंप दी है| श्री सिंह ने बीते दिनों जिले में कार्यरत एनजीओ के किचेन एवं भण्डार गृह का निरीक्षण जिला बेसिक शिक्षाधिकारी आरएसपी त्रिपाठी, जिला समन्वयक नीलू मिश्रा, नगर शिक्षा अधिकारी रमाकांत तिवारी के साथ सयुंक्त रूप से किया|

* जांच के दौरान गंभीर अनियमितताएं पायीं गयी नगर पालिका एवं नगर पंचायतों में संचालित विद्यालयों में मध्यान्ह भोजन की आपूर्ति हेतु 17 एनजीओ ने प्रस्ताव दिए थे| इनके अलावा संचालित सिद्धार्थ जनकल्याण शिक्षण संस्थान, कसरट्टा फतेहगढ़, शांति समाज सेवा समिति खतराना स्ट्रीट फर्रुखाबाद, प्रियम आनंद शिक्षा प्रसार समिति तथा डॉ अम्बेडकर पब्लिक वेलफेयर सोसाईटी कायमगंज का चयन बिना किसी आधार के किया गया|

* इन चारों एनजीओ से कोई अनुबंद नहीं किया गया बल्कि औपचारिकता के लिए मात्र शपथ पात्र लिया गया, कोई बैंक गारंटी अथवा कोई धरोहर धनराशि जमा नहीं कराई गई| इनको 1 माह से अधिक अवधि हेतु अतिरिक्त खाधान्न आवंटित किया जाता है| मध्यान्ह भोजन बनाने में कटौती किये जाने के कारण संस्थाओं के पास पर्याप्त मात्रा में खाधान्न अवशेष पाया गया|

* संस्थाओं की संविदा अवधि अक्टूबर 2009 में ही समाप्त हो गई थी| परन्तु 29 मार्च 2010 की अवधि तक न तो संविदा नवीनीकरण हेतु जिलाधिकारी / नोडल अधिकारी मध्यान्ह भोजन योजना को प्रस्ताव प्रेषित किया गया और न ही नवीनीकरण किया गया|

* जिला बेसिक शिक्षाधिकारी ने जिलाधिकारी से अनुवोदन कराये बिना संस्थाओं को वर्ष 2009 / 10 हेतु 1 वर्ष के लिए कार्य करने हेतु पुनः आवंटित कर दिया गया| जोकि घोर अनियमितिता का घोतक है|

* जिलाधिकारी ने संस्थाओं के कार्यकाल बढाए जाने की अनुमति देने के सम्बन्ध में 13 मई 2010 को बीएसए को निर्देश दिया कि शासनादेश एवं नियमों के अंतर्गत समस्त बिन्दुओं पर जांच कर आख्या दें| इसके बाबजूद भी बीएसए ने उन्हें कोई आख्या नहीं दी और न ही संस्थाओं का कार्यकाल बढाए जाने का अनुवोदन प्राप्त किया| यह कृत्य उच्च अधिकारी की अवहेलना के साथ-साथ घोर लापरवाही है| इससे साफ़ जाहिर होता है कि चारों संस्थाएं अवैधानिक ढंग से कार्य कर रही हैं|

* संस्थाओं द्वारा कतिपय विद्यालयों के रसोईघर को केंद्रीयकृत किचेन के रूप में प्रयोग करके शासकीय धन की क्षति की जा रही है| संस्थायें वास्तविक रूप से लाभान्वित हो रहे छात्रों के आधार पर खाधान्न का आवंटन न कर नामांकित छात्रों की 80 प्रतिशत उपस्थित मानते हुए मनमाने ढंग से भोजन दिया जा रहा है|

* जांच के दौरान सिद्धार्थ जन कल्याण समिति के पास 200 बोरी खाधान्न एवं शांति समाज सेवा समिति के पास 250 बोरी खाधान्न अवशेष पाया गया| बीएसए नगर शिक्षाधिकारी से बिना प्रमाणित कराये भुगतान कर रहे हैं| प्रत्येक माह अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों में भोजन वितरण करने वाली संस्था को नामांकित छात्रों के सापेक्ष 97 – 98 प्रतिशत उपस्थित के आधार पर परिवर्तन लागत का भुगतान किया जा रहा है जो संदेह हास्यपद है|

* जांच अधिकारी श्री सिंह ने राय दी है कि प्रशासन द्वारा इन विद्यालयों का समय-समय पर आकस्मित निरीक्षण कराना आवश्यक है|