फर्रुखाबाद: हालाँकि सब कुछ जिले में जिलाधिकारी के अधीनस्थ होता है मगर जब कर्मचारी अपने आ जाए तो अफसर को को भी पानी पिला देता है| दलीलों और बहानो की फेरहिस्त इतनी लम्बी गिनाता है कि हाकिम भी रस्सी को सांप समझ लेता है| कभी अतिक्रमण दस्ते को पुलिस बल न मिलना और कभी चिन्हाकन न हो पाना| सड़के खुली और यातायात के लायक बनाने के बीच ये दो बाते रोड़ा बनी हुई है| व्यापारियों से पंगा होने के डर से नगर पालिका परिषद अधिकारी अतिक्रमण अभियान में रुचि नहीं ले रहे हैं। चिन्हांकन की सूचना के बावजूद हकीकत में चिन्हांकन कहीं नहीं दिखा। जिस कारण समूचे अभियान की हवा ही निकल गई है। गरीब को उजाड़ने के आगे दो कदम भी अभियान चल न सका|
जिलाधिकारी के निर्देश पर गत माह शुरू हुए अतिक्रमण अभियान का प्रभावी असर नहीं दिख रहा है। नगर पालिका परिषद अधिकारी व कर्मचारी रुचि नहीं ले रहे। आवास विकास में चिन्हांकन होने के बाबजूद लें दें और सिफारिश का दौर चल गया है| अधिशासी अधिकारी की ओर से अतिक्रमण स्वयं हटाने, चिन्हांकन करने व जुर्माना वसूली को तीन चेतावनी नोटिस जारी किये गए। लेकिन हकीकत यह है कि नगर में अन्य जगहों पर चिन्हांकन नहीं हुआ और न ही किसी से जुर्माना वसूला गया।
शनिवार को पालिका के कुछ अधिकारी अतिक्रमण हटाने फतेहगढ़ पहुंचे, लेकिन फोर्स न मिलने से अतिक्रमण नहीं हट सका। अधिशासी अधिकारी पीके श्रीवास्तव ने बताया कि अवर अभियंता मनोज गुप्ता की अतिक्रमण में ड्यूटी लगा दी है। जबकि अवर अभियंता ने बताया कि वह अतिक्रमण हटाओ अभियान में नहीं गए हैं। नाले का काम देख रहे हैं।
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