नई दिल्ली। सड़क सुविधा के लिए होती है। लेकिन तब क्या हो जब यही सड़क जानलेवा बन जाए। और इसमें गलती किसी और की नहीं बल्कि आपकी हमारी हो। सड़क हादसों को रोकने के लिए केंद्र सरकार बनाएगी एक्शन प्लान, सड़क सुरक्षा पर आईबीएन 7 की दिन भर की मुहिम में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने ये ऐलान किया है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया में सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं भारत में होती हैं। रोजाना सड़क हादसों में 300 लोग मारे जाते हैं। और अगर एक साल की बात करें तो ये संख्या होती है 1 लाख 40 हजार।
आए दिन हादसों में सड़कों पर लोगों के मरने की खबरें आती हैं। ये मरने वाले आम लोग होते हैं। शायद यही वजह है कि खबरें सिर्फ खबरें बन कर रह जाती हैं। लेकिन कुछ दिनों पहले ही केंद्रीय मंत्री गोपीनाथ मुंडे की सड़क हादसे में हुई मौत ने सबको हिला कर रख दिया।
मुंडे की मौत के बाद सरकार भी सड़क हादसों को लेकर जागती दिख रही है। लेकिन सच तो ये है कि इन हादसों के लिए कहीं न कहीं हम और आप भी जिम्मेदार हैं। सड़क सुरक्षा को लेकर बने नियमों को तोड़ने में लोग अपनी शान समझते हैं। पढ़ें आखिर क्यों होते हैं आए दिन हादसे-
आप रोज तोड़ते हैं ट्रैफिक नियम
1-गाड़ी चलाते वक्त मोबाइल पर बात करना, कान में लगाकर म्यूजिक सुनना – तमाम स्टडीज बताते हैं कि ध्यान भंग होता है ड्राइवर का और हादसे होते हैं।
2-सीट बेल्ट न लगाना अक्सर यात्रियों पर भारी पड़ता है। दुपहिया वाहनों के लिए हेल्मेट जरूरी है। मगर अक्सर बिना हेल्मेट के लोग बाइक दौड़ाते नजर आते हैं।
बाबा आदम जमाने के कानून
1-ट्रैफिक पुलिस वालों की तादाद इतनी कम है कि वो चाहें तो भी हालात में बदलाव नही ला सकते।
2-दिल्ली में अरसे से बात की जा रही है हाई स्पीड कैमरे लगाने की हर बड़े चौराहे पर ताकि खासतौर पर रात में वाहन तेज गति से चलाने वालों की धरपकड़ हो सके, चालान किया जा सके, लेकिन अब भी ये योजना पूरे ढंग से लागू नहीं हो सकी है।
हादसे का तुरंत इलाज
कितने लोग सड़क हादसों में तुरंत इलाज न मिलने पर मारे जाते हैं। अगर घंटे भर में जख्मी को इलाज मिल जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है,लेकिन इसके लिए जरूरी है एंबुलेंस तुरंत पहुंच सके मौके पर, राहगीर मददगार बनें, पुलिस के डर से आसपास लोग गुजरते रहते हैं लेकिन मदद को आगे नहीं आते हैं।
फर्जी लाइसेंस का जाल
हर आरटीओ दफ्तर में बिना चेकिंग, बिना टेस्ट दिए लाइसेंस पाने का गोरखधंधा चल रहा है। पैसे दीजिए और दलाल सारे काम करवा देता है, अक्सर घर बैठे लाइसेंस मिल जाता है, ऐसे लोग सड़कों पर कितने हादसों की वजह बन सकते हैं।
सड़कों में खामी
भारत में सड़कों की डिजाइनिंग में अक्सर खामियां रहती हैं क्योंकि जहां विदेशी मुल्कों में इसपर खासा ध्यान दिया जाता है, वहीं हमारे यहां इसपर तवज्जो नहीं दिया जाता, वैसे तो रोड सेफ्टी के लिए अलग से राष्ट्रीय संस्थान है लेकिन उसका काम क्या रहता है, आरएंडडी पर कितना ध्यान दिया जाता है, इसकी मालूमात शायद ही किसी को हो। हर साल मानसून में गड्ढ़ों के चलते दर्जनों लोग मारे जाते हैं,लेकिन गडढ़ों से निपटने के लिए खास सड़कें बनाई जाएं, खास मैटिरियल से सड़कें बनें। इसके प्रस्ताव कई बार बने जरूर हैं।