लोकसभा में हार के बाद जिला पंचायत की कुर्सी पर नजर…

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jila-panchayat1फर्रुखाबाद: लोकसभा 2014 के चुनावो में करारी हार के बाद समाजवादी पार्टी की निगाह अगले वर्ष होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनावो पर लग गयी है| त्रिस्तरीय पंचायत चुनावो में सबसे निचले स्तर पर लोकतंत्र के चुनाव होते है जिसमे ग्राम पंचायत अध्यक्ष यानि की ग्राम प्रधान, ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत सदस्य और अध्यक्ष चुने जाते है| समाजवादी पार्टी की निगाह सांसद और विधायक के बाद सबसे शक्तिशाली और भ्रष्टाचार की कमाई से खरीदे गए सदस्यों की दम पर जीता जाने वाला सबसे बड़ा पद जिला पंचायत अध्यक्ष हथियाने का है| वैसे बसपा के तहसीन सिद्दीकी ने किसी तरह से जोड़ तोड़ कर समाजवादी पार्टी की सरकार आने के बाद अपने दो साल काट लिए है| आखिरी साल में वे बसपा से ज्यादा सपा के खेमे में हाजिरी लगाकर जिला पंचायती चला लेंगे|

अफ़सोस- भ्रष्टाचार रोकने की जगह भ्रष्टाचार की कुर्सी हथियाने की होड़-
जिला पंचायत में भ्रष्टाचार के सारे रेोर्ड टूटते है| कुर्सी हथियाने में ही अध्यक्ष के लगभग 8-10 करोड़ रुपये खर्च हो जाते है| अब इस 8-10 करोड़ की वसूली सहित आमदनी के लिए लगभग 30 करोड़ का भ्रष्टाचार 5 साल में होता है या करना पड़ता है| फर्रुखाबाद में जिला पंचायत अध्यक्ष बनने के लिए 17 सदस्य जरुरत पड़ते है जो पिछले वार 40 लाख से 75 लाख में बिके थे| तो बिकाऊ सदस्यों से चुना गया अध्यक्ष पांच साल जनता का धन किस कदर लूटता है और माननीय कहलाता है जरा सोचिये?

ऐसे में जब दलों की सत्ता बदलती है तब जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख को हटाने की कवायद शुरू होती है| इन पदो से जुड़े भ्रष्टाचार के खिलाफ नई सरकार या नेता कोई अभियान नहीं चलाता बल्कि कुर्सी हथियाने के लिए संघर्ष करता है ताकि वो खुद भी जनता का धन लूट सके| अगर ऐसा संभव नहीं होता तो पक्ष के साथ विपक्ष भी अपना हिस्सा लेकर समझौता कर लेता है और विपरीत परिस्थितयो में भी सत्ता पांच साल चलाने को मिल जाती है| आपके आसपास ऐसा ही कोई जीव रहता है तो पहचान लीजिये|

जिला पचायत में जिले का सबसे बड़ा विकास का बजट आता है| ये पैसा टैक्स देने वाली जनता को होता है| कुस्री पर बैठा शख्स न केवल माननीय कहलाता है बल्कि अवैध धन कमाकर रईसी भी बढ़ जाती है| आम जनता में इनका कोई सरोकार नहीं होता| विकास की योजना में शिक्षा, सड़के और स्वस्थ्य तीनो शामिल होते है मगर आज तक कोई नहीं जान पाया की जिले में पंचायतो ने कोई शिक्षा में सुधार कर पाया हो| कोई स्वस्थ्य व्यवस्था में सहयोग किया हो या फिर कोई ऐसा मिशाल बनने के लायक काम किया हो| हाँ ये अध्यक्ष जनता के पैसे से अपने नाम के जिले में प्रवेश द्वार जरूर लगवा लेते है और जनसेवक कहलाते है| लाल बत्ती लगी गाड़ी से जिसमे जनता की कमाई का तेल पड़ा होता है, से शादी व्याह में अपना रुतवा बढ़ाने के दौड़ते नजर आते है| जबकि नियमानुसार ये सरकारी तेल वाली गाड़ी केवल जिला पंचायत के सरकारी या जनहित के कामो केलिए इस्तेमाल का नियम है| अब शादी व्याह में शिरकत जनहित के काम शामिल कर लिए गए तो कोई जरूर अपडेट करे……जय हो…

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