डेस्क: चुनावी परिणाम से यह तो साफ है कि उत्तर प्रदेश सरकार में शामिल बड़ों-बड़ों की लालबत्ती छिनेगी। इसमें चुनाव समर के दौरान हवा-हवाई दावा करने वाले कुछ मंत्री से लेकर दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री तक शामिल हैं।
लोकसभा चुनाव की आहट के साथ ही प्रदेश के मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सौ से अधिक कार्यकर्ताओं को राज्यमंत्री का दर्जा देकर संसाधन मुहैया कराये। तीन माह के अन्तराल में तीन बार मंत्रिमण्डल का विस्तार कर ब्राह्रमण, अतिपिछड़ा और मुस्लिमों की नुमाइंदगी करने वाले मंत्रियों का ओहदा बढ़ाया। राज्यमंत्री के दर्जे से नवाजे गये ज्यादातर ओहदेदारों को पार्टी ने लोकसभा क्षेत्रों का प्रभावी बनाया था, अति पिछड़े वर्ग की नुमाइंदगी करने वाले एक मंत्री व पसमांदा मुस्लिमों की अगुवाई का दावा करने वाले एक दर्जा प्राप्त नेता को प्रचार के लिए हेलीकाप्टर तक उपलब्ध कराया गया लेकिन चुनावी परिणामों से साफ है कि इन दोनों वर्गो का रूझान समाजवादी पार्टी के साथ नहीं था। अतिपिछड़ों की बाहुलता वाली हमीरपुर, जालौन, मिर्जापुर, राबर्ट्सगंज और पूर्वाचल में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी अपने प्रतिद्वंदियों से खासे पीछे रहे। जबकि 2009 के चुनाव में चौथे-पांचवे स्थान पर भाजपा के प्रत्याशी जीत का परचम फहराने में कामयाब हो गए।
सपा सूत्रों का कहना है कि चुनाव प्रचार के दौरान कई दर्जाधारियों से लेकर मंत्रियों में से कुछ के प्रति जनता में नाराजगी का सच नेतृत्व को पता हो गया था। पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि अब ऐसे मंत्रियों और दर्जाधारियोंकी विदाई तय है। समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम ंिसह यादव पहले ही सावर्जनिक तौर पर यह कह चुके थे, जिस मंत्री के क्षेत्र से प्रत्याशी हारेगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी संकेत दिया था कि जिन जनप्रतिनिधियों के क्षेत्र में पार्टी का प्रदर्शन अच्छा नहीं होगा, उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। सपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने इसका आकलन भी शुरू कर दिया है। सपा सूत्रों का कहना है कि 20 मई को सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के दिल्ली से वापस लौटने के बाद प्रत्याशियों और प्रभारियों के साथ बैठक होगी, जिसके बाद कार्रवाई का सिलसिला भी चलेगा। लेकिन पार्टी को ओर से यह संकेत साफ है कि बड़ों-बड़ों की लालबत्ती जाएगी।
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