फर्रुखाबाद : घोटाले तो यैसे ही होते है | वैसे तो विभाग एक ठप्पा लगाने के लिए पहले से ही रकम निर्धारित कर लेता है | फिर चाहे वह मामला पेंशन का हो या अन्य | लेकिन शुक्रवार को फतेहगढ़ कोषागार के बाहर कई महत्व पूर्ण मोहरे पड़ी देखी गयी | प्रश्न यह उठता है क्या किसी दुरुपयोग के इंतजार में विभाग यह कृत्य कर रहा है |
फतेहगढ़ कलेक्ट्रेट स्थित कोषागार में भ्रष्टाचार किस हद तक है यह तो यहा के बाबुओ क चंगुल में फंसने वाला व्यक्ति ही जनता है | लेकिन लापरवाही भी चरम पर होगी यह पहली बार नजर आया | कोषाधिकारी के पद वाली कई मोहरे विभाग के कार्यालय के बाहर एक गत्ते में पड़ी देखी गयी | जानकारी करने पर एक लिपिक ने बताया की मोहरे खराब है इस लिए उन्हें यहाँ रख दिया होगा |
यह कह कर लिपिक तो अपने कर्तव्य ने पल्ला झाड़ कर चला गया लेकिन मोहरे लोगो को अपनी तरफ आकर्षित करती रही | कुल मिलाकर मोहरे यदि यहाँ पड़ी रही तो किसी भी तरह से दुरुपयोग की सम्भावना से इंकार नही किया जा सकता |