फर्रुखाबाद: होली वाले दिन “रंग दे बसंती” कार्यक्रम में अध्यात्मिक गुरु ने जनपद में बौद्धिक प्रवचन दिया था| उन्होंने अपने प्रवचन के आखिरी चरण में इशारा तो भाजपा को वोट करने का किया मगर न तो किसी पार्टी का सीधे सीधे नाम लिया और न ही किसी पार्टी को वोट की अपील की| और रही बात पत्रकार वार्ता के सवालो में किसी नेता का नाम लेने की तो पत्रकारो के पूछे गए सवालो के जबाब देने में कोई अचार संहिता का उल्लंघन बनता नहीं है| लिहाजा श्री श्री रविशंकर के कार्यक्रम की सीडी का अध्ययन और जाँच से न तो कोई आरोप बनेगा और न ही कोई उल्लंघन|
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होली के दिन बढ़पुर स्थित मधुर मिलन लान में अध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर बसपा नेता एमएलसी मनोज अग्रवाल के बुलावे पर आये थे| जनता ने उनसे आर्शीवाद लिया| श्री श्री ने स्वदेशी अपनाओ पर बल दिया| उन्होंने योग कराया| शांति और प्रेम से रहने का सन्देश दिया| समाज में जागरूकता फैलाई| शत प्रतिशत मतदान का आवाहन किया| भ्रष्टाचार और अपराध मुक्त भारत बनाने के लिए लोकसभा चुनाव में अच्छे लोगो को चुनने के लिए जनता को प्रेरित किया| ये सब तो चुनाव आयोग भी करता है| इसमें कोई चुनावी अचार संहिता का उल्लंघन बनता नहीं है| ये बात दीगर है कि उन्होंने उन सब चुनावी पहलुओ को छुआ जो कांग्रेस, सपा, बसपा से दूर रहने के लिए इंगित करता था| मगर किसी पार्टी का नाम लिए बिना| उन्होंने कहा कि परिवर्तन होना चाहिए| उन्होंने कहा कि खिचड़ी सरकार देश के लिए ठीक नहीं है| बहुमत की सरकार होनी चाहिए जो देश हित में फैसले करने में सक्षम हो| अब तीसरे मोर्चे में तो एक भी पार्टी ऐसी नहीं जो बहुमत की सरकार बनाने में सक्षम दिख रही हो| अरविन्द केजरीवाल के बारे में उन्होंने प्रवचन में कुछ नहीं कहा| पत्रकारो के सवालो के जबाब में उन्होंने कहा कि अरिंद को तजुर्बा नहीं है| किसी सवाल का जबाब देना तो आचार संहिता का उल्लंघन नहीं होता है|
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अब सलमान खुर्शीद ये कहे कि अध्यात्मिक गुरुओ को राजनीति में नहीं पड़ना चाहिए ये बात आम जनता को हजम नहीं होती| इतिहास गवाह है कि अध्यात्मिक गुरुओ ने अच्छे समाज के निर्माण के लिए हमेशा से ही दिशा निर्देश दिए है| क्या सलमान खुर्शीद चंद्रास्वामी और देवरहा बाबा को भूल गए| बड़े बड़े कांग्रेसिओं और इंदिरा से लेकर राजीव गांधी तक इनके चक्कर लगते थे और आशीर्वाद लेते थे| चंद्रास्वामी तो कांग्रेस के लिए सत्ता में जोड़ तोड़ करते रहे है| बात दीगर है कि घोटालो दर घोटालो के कारण संतो ने कांग्रेस से किनारा कर लिया है| वैसे भी व्यापारी बाबा रामदेव को छोड़ अन्य कोई संत सीधे सीधे कांग्रेस पार्टी के विरोध में तो बोलता अब तक दिखा नहीं है|
तो कुल मिलाकर श्री श्री रविशंकर के खिलाफ आचार संहिता के मामले अखबारो की सुर्खिया बनने से आगे नहीं बढ़ पाएंगे| वैसे आचार संहिता का उल्लंघन तो नेता हर सभा में कर रहे है, रोज कर रहे है| हर दल का नेता कर रहा है| कोई काम तो किया नहीं जनसेवा का| कोई प्लान तो है नहीं विकास का| आचार संहिता का उल्लंघन तो करेंगे ही जात और धर्म के नाम पर वोट मांग कर| और चुनाव आयोग की की मिली अतिरिक्त ताकतो के बाबजूद किसी प्रशासनिक अधिकारी में इतना आत्मबल भी नहीं बचा है जो सभी नेताओ के साथ एक सामान व्यवहार करते हुए उनके खिलाफ इस मामले में कार्यवाही कर सके| आखिर सत्ता की चौखट पर नतमस्तक जो है| धर्म और जात के नाम पर वोट मांगना सबसे बड़ा आचार संहिता का उल्लंघन है जो संविधान में भी वर्णित है|