लखनऊ: आप आइटीआइ करने की तैयारी कर रहे हैं तो आपके लिए अच्छी खबर है। व्यावसायिक परीक्षा परिषद ने प्रदेश स्तरीय मेरिट के बजाय जिला स्तरीय मेरिट बनाकर प्रवेश करने का निर्णय लिया है। इससे न केवल आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चों को तकनीकी शिक्षा मिलेगी बल्कि शिक्षा के एवज में उन्हें अधिक पैसा भी खर्च नहीं करना पड़ेगा।
बीते वर्ष निशातगंज के मुस्तकीम अंसारी ने आइटीआइ की प्रवेश परीक्षा दी थी। कंप्यूटर ट्रेड में उसका प्रवेश राजधानी के बजाय श्रावस्ती हो गया। मजदूरी करके दो जून की रोटी का इंतजाम करने वाले पिता ने सोचा था कि उसके बेटे का एडमीशन राजधानी में हो जाएगा और वह 40 रुपये महीने की फीस का इंतजाम स्वयं कर लेगा, लेकिन श्रावस्ती में प्रवेश होने से रहने और भोजन का खर्च करीब पांच हजार रुपये आने की बात सुनकर उसने प्रवेश नहीं लिया था। मुस्तकीम की नहीं बल्कि प्रदीप कुमार, ज्ञानेंद्र सिंह और रंजीत सहित कई छात्रों ने दूरी की वजह से प्रवेश नहीं लिया था। उनकी इस परेशानी को परिषद ने गंभीरता से लिया और इस बार मेरिट को जिला स्तर पर बनाने का निर्णय लिया है। इसके तहत सबसे पहले जिले में रहने वाले छात्र को प्रवेश में वरीयता दी जाएगी। उसके बाद यदि सीटें खाली होंगी तो उसे दूसरे जिले के छात्रों से भरी जाएंगी।
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मनमानी फीस पर लगेगी लगाम
प्रदेश स्तरीय मेरिट की वजह से छात्र निजी आइटीआइ में प्रवेश लेते थे। इसका फायदा उठाकर छात्र उनके मनमानी फीस वसूलते थे। जिले स्तर पर मेरिट बनने पर मनमानी फीस पर लगाम लगेगी और अधिक से अधिक छात्र कम फीस में राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में तकनीकी शिक्षा ग्रहण कर सकेंगे।
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31 तक करें ऑन लाइन आवेदन
राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थाओं में प्रवेश के लिए ऑन लाइन आवेदन भरे जाएंगे। सामान्य व पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थी 250 रुपये और अनुसूचित जाति के अभ्यर्थी 150 रुपये जमा करके प्रदेश की सभी 217 आइटीआइ से टोकन ले सकते हैं। टोकन के साथ मिलने वाले कोड के आधार पर कहीं से भी ऑन लाइन आवेदन किया जा सकता है। प्रवेश में प्राथमिकता वाली आइटीआइ में ऑन लाइन आवेदन का प्रिंट जमा किया जा सकता है। आवेदन की अंतिम तिथि 31 मार्च रखी गई है। प्रदेश में 217 सरकारी आइटीआइ हैं और उनमें 62000 सीटें हैं जबकि निजी संस्थानों की संख्या 1392 से अधिक हैं और उनमे सीटों की संख्या करीब 1.75 लाख है।
प्रदेश स्तर पर मेरिट से होने वाली असुविधाओं को संज्ञान में आने के बाद शासन ने प्रदेश के बजाय जिला स्तरीय मेरिट बनाने का निर्णय लिया है। इससे जिले के मूल निवासी छात्रों को फायदा होगा और उन्हें पढ़ाई के लिए दूर नहीं जाना होगा।
अनीता श्रीवास्तव
निदेशक, व्यावसायिक परीक्षा परिषद