फर्रुखाबाद: जब जब वितीय वर्ष के बचे महीने कम होने लगते है विकास करने की जिम्मेदारी सम्भालने वाले विभाग अपनी गतिविधिया तेज कर देते है| फरवरी से मार्च दो महीने में साल के 10 महीने के मुकाबले का बजट खर्च हो जाता है| क्या ये आखिरी महीने में खर्च होने वाला बजट प्रासंगिक होता है| क्या इसका कोई लाभ जनता को मिल पाता है या नहीं इस पर कौन निगाह रखेगा ये बड़ा सवाल है| मगर सवाल तो किसान खड़ा कर रहे है कि पिछले 20 दिनों से रामनगरिया मेले से लेकर ब्लाक और मुख्यालय स्तर तक जो किसान मेले आयोजित किये गए है उसमे चुनिंदा किसानो को फोन पर बुलाकर बजट की जो बर्बादी की जा रही है वो बेमिसाल है|
शुरुआत मंगलवार को मुख्यालय पर हुए किसान मेले से करके पीछे की ओर चलते है| प्रशासनिक अधिकारियो से उद्घाटन की तस्वीरे तो फ़ाइल के लिए खीची जाती है इसलिए प्रशासनिक अफसरो को विभागो में हो रहे गोलमाल के लिए जिम्मेदार ठहराना बहुत ठीक नहीं होगा अलबत्ता निगरानी करने की जिम्मेदारी इन लोगो की भी है| लेकिन सबसे बड़ा सवाल किसानो से जुड़े विभागो और उनके जिला स्तर के अफसरो पर है| किसान मेले में वैज्ञानिक आये नहीं| आधी से ज्यादा कुर्सियां खाली पड़ी रही| जबाब होगा कि किसान आलू खोद रहा होगा| तो किसान मेला ऐसे समय में कराने का औचित्य क्या जब उसका लाभ लेने वाले आ न सके| खैर इन सबसे इतर तो जबाब किसानो ने दिया तो उन्हें उल्लू बनाने जैसा ही है|
राजेपुर ब्लाक के गांधी ग्राम के किसान श्रीराम गांधी बताते है कि किसान केन्द्रो पर सबसे घटिया बीज दिया जाता है खाद समय से मिलती नहीं| उन्हें तो जबरिया फोन करके बुला लिया गया इसलिए चले आये| इस किसान मेले से कोई फायदा नहीं| श्रीराम बताते है कि उन्होंने किसान केंद्र से मूंगफली का बीज लिया था जो जमा ही नहीं| किसान मेले के नाम पर सरकारी बजट खर्च कर लेना ही मकसद लगता है|
वहीँ मोहम्दाबाद ब्लाक के गाव मेरापुर निवासी वीरेंद्र सिंह के साथ भी ऐसा ही हुआ| गेंहू का बीज किसान केंद्र से लिया था जो जमा नहीं और खाद भी नहीं समय से मिली| फोन करके मेले के नाम पर बार बार बुला लेते है|
कुछ समय पहले रामनगरिया मेले में तीन या पांच दिवसीय किसान मेले का आयोजन किया गया था| मेले की भीड़ ने तमाशा देखा और चले गए| मेले में किसानो के लिए खाने का इंतजाम लंच पैकेट के रूप में हुआ था| लंच पैकेट भी दो प्रकार के बने थे| किसानो के लंच पैकेट में पूरी सब्जी अचार और मिठाई का एक पीस था और आयोजनकर्ताओं के लिए बने लंच पैकेट में पनीर की सब्जी, सूखी सब्जी, दाल, रोटी और मिठाई अचार| मेले में कवरेज पर गए कुछ पत्रकारो को किसान मेले के आयोजको ने भोजन कराया तो दो प्रकार के लांच पैकेट का पता चला| अब किसानो के बजट से मटर पनीर उड़ा किसका विकास हुआ ये समझने वाली बात है मगर किसानो का यह कहना कि किसानो को उल्लू बना कृषि विभाग अपना उल्लू जरुर सीधा कर रहा है समझा में आता है|
मगर बात इतनी भर नहीं है| मंगलवार को मुख्यालय पर लगे किसान मेले के स्टालो में एग्रो का स्टाल इस उल्लू बनाने की कहानी पर मुहर लगा गया| एग्रो में स्टाल पर किसानो को समझाने के लिए विभाग में दो पी आर डी के जवान कृष्ण पाल और सुनील कुमार को बैठा कर किसानो के साथ साथ और लोगो को भी उल्लू बनाया| स्टाल पर जानकार बैठा होना चाहिए जो किसानो को उनके हित के प्रोडक्ट के बारे में समझा सके मगर यहाँ तो……|
मेले का उदघाटन करने के लिए जिलाधिकारी पवन कुमार के साथ साथ मुख्य विकास अधिकारी भी थे| उदघाटन जॉइंट मेजिस्ट्रेट ने फीता काट कर किया था| ऐसा नहीं है किसान मेले से किसानो को लाभी नहीं मिलता मगर जब दिमाग में खेत में पड़ा आलू घुसा हो तो कौन सुनेगा वैज्ञानिको की बात| फर्रुखाबाद के एक किसान को उत्कृस्ट मक्का पैदा करने पर राष्ट्रपति पुरुष्कार मिल चूका है और उसकी बदौलत आज जिले में मक्का बीज पर अनुदान किसानो को मिलने लगा है| जरुरत ईमानदारी से काम को अंजाम देने की है|
किसानों को जागरूक करने के लिए पराग, यूपी एग्रो समेत कई विभागों ने स्टाल लगाकर किसानों को बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने, उपजाऊ जमीन पर अधिक पैदावार करने की जानकारी दी। किसानों को संबोधित करते हुए अंकित अग्रवाल ने कहा कि आज किसान सबसे ज्यादा मेहनत करता है लेकिन उसे उसकी फसल का उचित मुआवजा नहीं मिलता है इसका मुख्य कारण जानकारी का अभाव होना है। किसान मौसम के अनुसार अधिक पैदावार की फसलें करें तो अच्छा मूल्य प्राप्त होगा। इसके लिए सरकार कई योजनाएं किसानों की मदद करने के लिए चला रही है। जो किसान गरीब हैं उन्हें बैंक द्वारा ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है।
यूपी एग्रो द्वारा कम कीमत पर कृषि यंत्र उपलब्ध कराए जा रहे हैं। जब देश का किसान मजबूत होगा तभी हम उन्नति कर सकेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ किसान भाई ने अच्छी फसल का उत्पादन कर सरकार से पुरस्कार प्राप्त किए हैं। इसलिए कोई भी फसल करें तो उसकी पूरी जानकारी होना आवश्यक है। उधर, पेयजल के उचित रख रखाव व प्रयोग के बारे में भी बताया गया। पानी से जानवरो को दूर रखने, हैंडपंप का चबूतरा जमीन की ऊंचाई में रखने, जलाशय की प्रतिवर्ष सफाई कराने और जलाशय पर ढक्कन लगाने की बात बताई गई। हैंडपंप से 10 मीटर की दूरी पर नहाने और कपड़े धोने चाहिए। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मुख्य विकास अधिकारी डा0 एससी श्रीवास्तव ने भी किसानों को कृषि संबंधित सरकारी योजनाओं की जानकारी दी। कार्यक्रम के संयोजक उप कृषि निदेशक एसके सिंह, जिला कृषि अधिकारी अरविंद कुमार सचान ने भी किसानों को संबोधित किया। इस अवसर पर किसानों के मनोरंजन के लिए जादू व संगीत का भी आयोजन किया गया था।