फर्रुखाबाद|| अब सरकारी स्कूलों के बच्चों को भूंखे पेट नहीं रहना पडेगा| क्योंकि बच्चों के मिड डे मील का जिम्मा प्रधान और उस स्कूल के प्रधानाचार्य ने अपने हांथों में ले लिया है| अब पंचायत सेक्रेटरी की व्यस्तता के चलते नौनिहालों को अब भूखे पेट नहीं रहना पड़ेगा। इनका संयुक्त खाता ‘मध्यान्ह भोजन निधि’ कहलाएगा, जो नजदीक की ऑन लाइन बैंक में खोला जाएगा। इस तरह योजना में पंचायत सेक्रेटरी का दखल खत्म कर दिया गया है।
बता दें कि अभी तक मध्यान्ह भोजन की जिम्मेदारी ग्राम प्रधान व सचिव की थी। दरअसल एक पंचायत सेक्रेटरी के पास कई-कई गांव होते हैं। ऐसे में पंचायत सेक्रेटरी के गायब होने पर मध्यान्ह भोजन प्रभावित होता था।
मध्यान्ह भोजन योजना सम्बंधी भारत सरकार के प्रथम ज्वाइंट रिव्यू मिशन ने विद्यालय स्तर पर मध्यान्ह भोजन निधि का खाता खोलने की संस्तुति की है। इसके बाद सूबे के राज्यपाल ने इसे हरी झंडी दे दी। इस खाते में खाने का पैसा, रसोइये का मानदेय, किचन शेड तथा एमएमई (अनुरक्षण अनुदान) की धनराशि भेजी जाएगी। मध्यान्ह भोजन निधि का खाता नजदीक की सीबीएस (ऑन लाइन बैंक) में प्रधान व प्रधानाध्यापक के संयुक्त हस्ताक्षर से खोला जाएगा।
योजना में खर्च हुए रुपये का व्यौरा मदवार अलग-अलग दर्ज किया जाएगा। जिसका बैंक से लेन-देन का मिलान व आडिट किया जाएगा। ग्राम निधि के खातों में मौजूद धनराशि को तत्काल मध्यान्ह भोजन निधि में स्थानांतरित करने के आदेश दिए गए हैं। आदेश मिलने के बाद बीएसए जेके वर्मा ने प्रधान अध्यापकों को सोमवार से जिन स्कूलों में मिड-डे-मील नहीं बन रहा है, उनमें बनवाने के निर्देश दिए हैं।