मन क्यूं बहका रे बहका…

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मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि दिवास्‍वप्‍न मन भटकने का सबसे बड़ा कारण है। यह न सिर्फ व्‍यक्ति का वर्तमान बल्कि भूत और भविष्‍य को भी प्रभावित करता है।

हार्वर्ड विश्वविद्यालय के मनोवैज्ञानिकों ने दावा किया है कि हमारे मन का 46.9 प्रतिशत हिस्‍सा भटकता रहता है। इसी हिस्‍से में तरह तरह के विचार आते हैं और हम दिवास्‍वप्‍न देखते हैं। मन उस दौरान ज्‍यादा भटकता है जब हम आराम कर रहे होते हैं या होम कंप्‍यूटर पर नेटवर्किंग कर रहे होते हैं।

आज वह व्‍यक्ति ज्‍यादा सुखी है जो इस हिस्‍से पर नियंत्रण रखने के साथ साथ पूरी तरह से अपने जॉब पर ध्‍यान देता है और वर्तमान में जीता है।

हार्वर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ता डैनियल गिलबर्ट और मैथ्यू क्लिंगसवर्थ का कहना है कि मनुष्य अपनी क्षमता को अतीत की समीक्षा और भविष्य की प्‍लानिंग करने में लगाए तो जीवन वरदान साबित हो सकता है।

शोधकर्ता 2250 स्वयंसेवकों से पूछताज कर इस निष्‍कर्ष पर पहुंचे हैं। अध्‍ययन के निष्‍कर्ष में पाया गया है कि भटकना मानव मन की प्रवृति है। यह मानव मन के दुख का सबसे बड़ा कारण है। इसलिए दिवास्‍वप्‍न देखने से बचें।