समाजवादी पार्टी की राज्यसभा सदस्य और फिल्म अभिनेत्री जया बच्चन ने कांग्रेस पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि 1984 के आम चुनाव में इलाहाबाद में अमिताभ बच्चन की ऐतिहासिक जीत उनके करिश्माई व्यक्तित्व का नतीजा थी। इसमें पार्टी (कांग्रेस) का कोई योगदान नहीं था। इलाहाबाद में अमिताभ बच्चन की जीत हुई थी न कि पार्टी की। बोफोर्स तोप सौदा मामले की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा है कि उनके परिवार को दो दशक से ज्यादा समय तक एक ऐसे मामले में उलझाए रखा गया जिससे उनका कोई लेना-देना नहीं था। हम ईश्वर के शुक्रगुजार हैं कि स्वीडन पुलिस ने हमारे परिवार को क्लीन चिट दे दी है।
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जया बच्चन का कहना है कि 1984 के आम चुनाव में अमिताभ बच्चन ने जिस तरह से इलाहाबाद में हेमवती नंदन बहुगुणा जैसे राजनीतिक दिग्गज को हराया था उससे कांग्रेस के तमाम बड़े नेता अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर आशंकित हो गए थे। हेमवती नंदन बहुगुणा को चुनाव में हराना आसान काम नहीं था लेकिन अमिताभ बच्चन ने अपने करिश्माई व्यक्तित्व के बलबूते उन्हें हरा दिया था। मैं दावे के साथ कहती हूं कि आज की तारीख में अमित जी देश की किसी भी सीट से चुनाव लड़ जाएं उन्हें कोई हरा नहीं सकेगा।
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समाजवादी पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और जया बच्चन के राजनीतिक गुरू स्वर्गीय बृजभूषण तिवारी के जीवन पर देश के जाने-माने पत्रकार राधेकृष्ण ने “संघर्ष पथ ” समाजवादी पुरोधा बृजभूषण तिवारी पर एकाग्र” नामक पुस्तक लिखी है। जया बच्चन ने बृजभूषण तिवारी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा है कि एक पिता जैसे अपने बच्चों का ख्याल रखता है वैसे ही तिवारी जी मेरा ख्याल रखते थे। उनका कहना है कि उन्होंने राजनीति की ए, बी, सी, डी… बृजभूषण तिवारीजी से सीखी। राज्यसभा में बृजभूषण तिवारी और जया बच्चन अगल-बगल की सीटों पर बैठते थे। बृजभूषण तिवारी की आकस्मिक मृत्यु से जया बच्चन को बेहद आघात पहुंचा था। बृजभूषण तिवारी के पार्थिव शरीर को देखकर वह अपने जज्बातों को रोक नहीं सकी थीं और फूट-फूट कर रोई थीं। बाद में उन्होंने राज्यसभा में अपनी सीट बदलवा ली थी।
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इस पुस्तक में जया बच्चन ने कहा है कि राजनीति में अमित जी के बढ़ते कद से कुछ लोग बहुत परेशान थे। ऐसे लोगों ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए अमिताभ बच्चन का नाम बोफोर्स तोप सौदे में उछाला। हमारे परिवार ने दो दशक से ज्यादा लंबे समय तक बोफोर्स तोप सौदे में कमीशन खाने का जो असहनीय दर्द बर्दाश्त किया है मैं उसे बयां नहीं कर सकती। उन्होंने कहा है कि उनके परिवार को दो दशक से ज्यादा समय तक एक ऐसे मामले में उलझाए रखा गया जिससे उनका कोई लेना-देना नहीं था। हमारे पति पर बोफोर्स तोप सौदे में कमीशन खाने का झूठा और बेबुनियाद आरोप लगाया गया लेकिन उस समय किसी ने भी हमारी मदद नहीं की। लोग जानते थे कि अमिताभ बच्चन पर जो आरोप लगाए जा रहे हैं उनमें जरा सी भी सच्चाई नहीं है। जब हमारे परिवार पर चारों तरफ से हमले हो रहे थे तो उस समय हमारे बेहद करीबी लोगों ने हमसे मुंह मोड़ लिए थे। अखबारों में झूठी खबरें छपने से हमारे ससुर डॉ. हरिवंश राय बच्चन भी उस समय बहुत आहत हुए थे।
जया बच्चन का कहना है कि उस जमाने में हम लोगों का घर से निकलना मुश्किल हो गया था। हमारी पीठ पीछे लोग तरह-तरह की बातें किया करते थे। मीडिया में हमारे खिलाफ झूठी और आधारहीन खबरें लिखी जाती थीं। हमारे परिवार के एक बेहद करीबी ने उस समय कहा था कि कुछ न कुछ तो जरूर हुआ है। आखिर बिना आग के धुंआ नहीं निकलता है। उस समय मैं उन्हें कैसे और क्या समझाती। जया बच्चन ने कहा है कि अखबारों में झूठी खबरें छपने से बाबूजी (डॉ. हरिवंश राय बच्चन) बहुत आहत हुए थे। एक दिन उन्होंने अमित जी को अपने कमरे में बुलाकर अखबारों में छपी खबरों को दिखाते हुए कहा कि क्या इनमें कोई सच्चाई है। अमित जी ने कहा कि नहीं। इन खबरों में कोई सच्चाई नहीं है। हमारे ऊपर जो आरोप लगाए जा रहे हैं वे पूरी तरह झूठे हैं। उस दिन बाबूजी के सवाल करने से अमित जी काफी दुखी हो गए थे और अपने कमरे में आकर खूब रोए थे। उस समय मैंने उन्हें बच्चों की दुहाई देकर मनाया था। बोफोर्स तोप सौदे में लगे झूठे आरोपों से खिन्न होकर अमिताभ बच्चन से लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया और राजनीति से हमेशा के लिए तौबा कर ली। जया बच्चन ने कहा है कि सच को दबाने की चाहे जितनी कोशिश की जाए लेकिन सच कभी दबता नहीं है। सच को सामने आने में भले वक्त लगे, लेकिन एक न एक दिन वह सामने जरूर आएगा। बोफोर्स तोप सौदा मामले में स्वीडन की पुलिस से अब हमें क्लीन चिट मिल चुकी है लेकिन दो दशक तक हमने और हमारे परिवार ने जो झूठी बदनामी झेली है, जो असहनीय दर्द सहन किया है क्या कभी उसकी भरपाई हो सकती है।
जया बच्चन ने आगे कहा है कि 2004 और 2009 के लोकसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी ने अमित जी को देश की किसी भी सीट से चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन उन्होंने विनम्रतापूर्वक मना कर दिया था। सपा नेतृत्व ने दो बार अमित जी को राज्यसभा में भेजने का भी प्रस्ताव दिया लेकिन वे इसके लिए भी राजी नहीं हुए। अमित जी ने मुझे इस शर्त पर राजनीति में आने की इजाजत दी कि कुछ भी हो घर, परिवार पर कोई आंच नहीं आनी चाहिए। तीन खंडों में विभाजित 324 पृष्ठों की इस पुस्तक को कथाचित्र प्रकाशन ने प्रकाशित किया है। पुस्तक के पहले खंड में बृजभूषण तिवारी के जीवन संघर्षों के बारे में बताया गया है। दूसरे खंड में बृजभूषण तिवारी के चुनिंदा लेखों, भाषणों और साक्षात्कारों को शामिल किया गया है। तीसरे खंड में सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी, सीपीआई (एम) नेता सीताराम येचुरी, बीजेपी नेता कलराज मिश्र, सपा महासचिव प्रोफेसर राम गोपाल यादव, किरनमय नन्दा, मोहम्मद आजम खान, शिवपाल यादव, आलोक तिवारी और राजेंद्र चौधरी समेत देश की जानी-मानी 35 विभूतियों ने बृजभूषण तिवारी के बारे में अपने विचार और संस्मरण लिखे हैं।