लखनऊ। प्रदेश की बिगड़ती शिक्षा व्यवस्था के खिलाफ विधान भवन का घेराव कर रहे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया जिससे दर्जनों छात्र घायल हो गए। गुस्साए छात्रों के पथराव से पुलिस के कई जवान घायल हो गए। बाद में पुलिस ने दो दर्जन छात्रों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता प्रदेश की बिगड़ी शिक्षा व्यवस्था के खिलाफ विधान भवन का घेराव कर रहे थे। विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए प्रदेश भर से हजारों कार्यकर्ता आए थे। विधान भवन पहुंचने से रोके जाने पर कार्यकर्ता दो टोलियों में बंट गए। छात्रों का एक समूह बापू भवन की ओर से तो दूसरा जीपीओ की ओर से विधान भवन के लिए निकला। दोनों ओर से छात्रों का हुजूम तेजी से विधान भवन की ओर बढ़ा। जिससे विधानभवन के सामने पुलिस और विद्यार्थी परिषद के बीच झड़प शुरू हो गई। धक्कामुक्की में कई पुलिसकर्मी गिर पड़े। इसके बाद भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। जिससे नाराज छात्र विधानभवन के सामने ही बैठ गए। छात्रों को उठाने में नाकाम पुलिस ने फिर लाठीचार्ज कर दिया। जिससे विशाल, विवेक सिंह मोनू, सत्यभान भदौरिया समेत कई छात्रों के सिर फट गए जबकि मिथलेश, नितिन मित्तल, आलोक, सुशील वाष्र्णेय, दीपू, अभय सिंह, सत्यम गुप्ता, रवि सिंह, अभिषेक, अनुराग समेत कई अन्य को गंभीर चोट आई। इससे आक्रोशित छात्रों ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया। इस बार पुलिस ने छात्रों को बेरहमी से पीटा यही नहीं छात्रों पर पथराव भी किया। दो बसों में सैकड़ों की संख्या में छात्रों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। भारतीय जनता पार्टी ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद पर लाठीचार्ज की निंदा की है। भाजपा के मीडिया प्रभारी अवधेश गुप्ता का कहना है कि गिरफ्तारी के बाद अन्य कार्यकर्ताओं पर बर्बरतापूर्वक लाठीचार्ज करना गलत है।
परिषद के विरोध का कारण
– लखनऊ, बरेली, आगरा व कानपुर विश्वविद्यालय में निर्माण कार्यो में भ्रष्टाचार की जांच पूरी न होना।
– प्रदेश के कॉलेजों में संसाधनों की कमी।
– विश्वविद्यालयों में अराजकता का माहौल।
– तकनीकी शिक्षा का व्यापारीकरण।
– वर्ष 2003 से शिक्षकों की नियुक्ति पर लगी रोक।
– निजी तकनीकी संस्थानों द्वारा मनमानी व शुल्क बढ़ोत्तरी।
– शोध की गुणवत्ता खराब होना।