लखनऊ: अखिलेश यादव ने शुक्रवार को हुई कैबिनेट बैठक में फैसला लिया है कि सूबे के 12 हजार सिपाहियों को प्रमोट करके कांस्टेबल का दर्जा दिया जाएगा। यह भी फैसला हुआ है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे का निर्माण राज्य सरकार खुद कराएगी।
शुक्रवार को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में होने जा रही कैबिनेट की बैठक में इससे संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। 270 किलोमीटर लंबे ग्रीन फील्ड ईको-फ्रेंडली एक्सप्रेस-वे के लिए किसी डेवलपर के आगे न आने के बाद सरकार ने यह फैसला लिया। इसे मंजूरी मिलने के बाद एक्सप्रेस-वे के निर्माण का रास्ता साफ हो जाएगा। गौरतलब है कि सरकार ने अनुपूरक बजट में इसके लिए 450 करोड़ रुपये का प्रावधान भी कर दिया है।
इसके बन जाने से लखनऊ से आगरा की दूरी 3.30 घंटे में ही तय की जा सकेगी। फिलहाल इसमें छह घंटे लगते हैं। कैबिनेट में ललितपुर में 220 केवी ट्रांसमिशन सबस्टेशन के प्रस्ताव को भी मंजूरी मिली। इसके अलावा राजधानी के चक गंजरिया में 50 एकड़ में प्रस्तावित आईटी सिटी के लिए रिक्वेस्ट फॉर क्वालिफिकेशन (आरएफक्यू) मसौदे को भी कैबिनेट के समक्ष मंजूरी मिल गई।
[bannergarden id=”8″][bannergarden id=”11″]
आईटी सिटी के लिए हुई बिड में एकमात्र कंपनी एचसीएल ही आई थी। मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली हाईपावर कमेटी ने इस बारे में निर्णय करने के लिए कैबिनेट को प्रस्ताव भेजा था।
इसके अलावा रिटायर्ड सैनिकों के गेस्ट हाउस के लिए सरकार ने 50 लाख की राशि अप्रूव की। एक और अहम फैसला लेते हुए सरकार ने स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स के लिए पांच साल के लिए री-इंप्लायमेंट की छूट दी।
इस तरह साठ साल के बाद रिटायर हुए डॉक्टर्स 65 साल तक दोबारा नौकरी के लिए आवेदन कर सकते हैं।
12 हजार सिपाहियों के प्रमोशन की खुलेगी राह
कैबिनेट बैठक में पुलिस के लगभग 12 हजार सिपाहियों को दीवान के पद पर प्रोन्नति देने के लिए नियमावली में संशोधन के प्रस्ताव को भी मंजूरी मिल गई। बसपा शासनकाल में पुरानी व्यवस्था में बदलाव करते हुए प्रोन्नति के लिए परीक्षा व शारीरिक दौड़ को अनिवार्य कर दिया गया था। दौड़ के दौरान कई सिपाहियों की मौत भी हो गई थी।
इसके बाद यह प्रोन्नति रुक गई थी। अब फिर से एसीआर व वरिष्ठता के आधार पर प्रोन्नति दिए जाने की पुरानी व्यवस्था लागू करने के लिए कवायद हो रही है।
हालांकि इस बार प्रोन्नति बैचवार दिए जाने का प्रस्ताव बनाया गया है। इसके अलावा इटावा जेल को स्थानांतरित करने का भी प्रस्ताव कैबिनेट में लाया जा रहा है। इटावा जेल को शहर से हटाकर जिले में ही स्थानांतरित करने का प्रस्ताव है।