एक लड़की की तालीम, एक खानदान की तालीम के बराबर

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FARRUKHABAD : जमात ए इस्लामी हिन्द महिला विभाग की ओर से आयोजित सम्मेलन में बोलते हुए मुख्य वक्ताओं ने कहा कि जब तक इंसान के जेहन में ईश्वर या खुदा का डर नहीं होगा तो वह कानून से क्यों डरेगा। क्योंकि ऊपर वाले द्वारा दी जाने वाली गलती की सजा कानून की सजा से कहीं ज्यादा बढ़कर होती है। वक्ताओं ने कहा कि एक लड़की को तालीम देने का मतलब है, एक खानदान को तालीम देना। वक्ताओं ने इस्लाम के विभिन्न पहलुओं के विषय में सम्मेलन में आयी महिलाओं को बताया।mahila

बदायूं से आयीं डा0 संजीदा आलम ने कहा कि लड़कियों की शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि लड़कों की तालीम केवल एक व्यक्ति की ही तालीम है। लेकिन एक लड़की की तालीम पूरे खानदान की तालीम मानी जाती है। समाज के निर्माण में औरतों की भूमिका हमेशा से अहम रही है। अच्छा समाज तब बनेगा जब महिलायें अपनी जिम्मेदारी को बखूबी अंजाम दे पायेंगीं। वर्तमान में समाज के अंदर दहेजप्रथा, कन्या भू्रण हत्या, अशिक्षा, अत्याचार, भ्रष्टाचार जैसी ज्वलंत समस्यायें हैं। यूरोप की तहजीब ने अश्लीलता परोसी है और हम लोग उसे बिना सोचे समझे अपनाते जा रहे हैं।muslim yuvatiya

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दूसरी वक्ता असमां इम्तियाज ने कहा कि औलाद को अच्छा बनाने के लिए मां की अहम भूमिका होती है। इसलिए औरतों को चाहिए कि बच्चों की तालीम पर ध्यान दें और उनके अंदर गंदी आदतें न पड़ने दें। कायमगंज से आयीं शगुफता फलाही ने कहा कि इस्लामी शिक्षा में बारात, दहेज, मगनी, रश्म व लड़की वाले के घर दावत का कोई स्थान नहीं है। हमें चाहिए कि शादियों में फिजूल खर्च से बचें।

कार्यक्रम में हाफिज खां, सलीम मुजाहिद, मजहर मोहम्मद खां, डा0 आरिफ के अलावा सूफिया, मौलाना बहाबुद्दीन आदि मौजूद रहे।