KAIMGANJ (FARRUKHABAD) : तहसील का मुख्य गेट बंद कराये जाने पर अधिवक्ता भड़क गए. जिसके बाद एसडीएम से काफी देर तक हुई तीखी नोंक-झोंक के बाद मामले को गम्भीरता से लेते हुए आनन-फानन में गेट खुलवाया गया।
उपजिलाधिकारी प्रहलाद सिंह सरकारी वाहन से तहसील स्थित कार्यालय आये। अपना वाहन तहसील परिसर के अंदर लाने के तुरन्त बाद उन्होंने तहसील का मुख्य दरवाजा बंद करा दिया। दरवाजा बंद कराने का कारण बताते हुए कहा गया कि परिसर में जगह-जगह आने वाले वादकारी व अन्य लोग तथा अधिवक्ता अपने चौपहिया-दोपहिया वाहन खड़े कर देते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले जरूरतमंद अधिकांश लोग इसी परिसर में साइकिलें भी खड़ी करके तहसील के जिस कार्यालय में काम होता है वहां चले जाते हैं। आये दिन बड़ी संख्या में वाहन खड़े होने से कभी-कभी तो रास्ता तक नहीं बचता है। जिससे एसडीएम व अन्य अधिकारियों के वाहन निकलने में दिक्कत आती है। इसी से झल्लाये एसडीएम ने आज तहसील का मुख्य दरवाजा बंद करा दिया।
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दरवाजा बंद होने से आने वाले वादकारियों अधिवक्ताओं व अन्य लोगों के वाहन अंदर नहीं आ सके। अधिकांश वाहन गेट के सामने सड़क पर खड़े होने से वहां जाम की नौबत आ गई। अधिवक्ता अपने वाहन की सुरक्षा के कारण बाहर खड़े करने में परेशानी महसूस कर रहे थे। इस पर उन्होंने पता किया कि गेट क्यों बंद है। पता चला कि दरवाजा उपजिलाधिकारी ने बंद करा दिया है। बस अधिवक्ता एकत्र होकर एसडीएम कार्यालय के सामने पहुंच गये। जहां उन्होंने जोरदार आवाज में अपनी बात कहनी शुरू की। जिसकी भनक लगते ही उपजिलाधिकारी अपने कार्यालय से बाहर आ गये और उन्होंने सख्त लहजे में अधिवक्ताओं से बात शुरू कर दी। उनका रूख देखकर एक अधिवक्ता ने उनसे पूछा कि गेट आपने क्यों बंद कराया। क्या आपको कोर्ट परिसर के मुख्य दरवाजे को बंद कराने का अधिकार है।
इस पर एसडीएम ने उस अधिवक्ता पर शराब पीकर बात करने का आरोप लगाया। इस पर अधिवक्ताओं में रोष व्याप्त हो गया। एसडीएम ने अधिवक्ता को डाक्टरी परीक्षण कराने की चेतावनी दी। तो अधिवक्ताओं ने जोरदार विरोध करते हुए कहा कि यदि परीक्षण में शराब पीने की पुष्टि नहीं हुई तो फिर आप क्या करेंगे। जैसी लम्बी बहस और तीखी नोंक-झोंक के बीच अधिवक्ताओं ने कहा कि आप की गाड़ी खड़ी करने के लिए हजारों रूपये की लागत से गैरिज बना हुआ है। फिर आप खुद अपनी गाड़ी परिसर में क्यों खड़ी करते हैं। अधिवक्ताओं का रूख भांप कर उपजिलाधिकारी नरम पड़ गये और उन्हें अपने चैम्बर में बुलाकर वार्ता की। वार्ता के बाद उपजिलाधिकारी ने बंद कराया हुआ मुख्य दरवाजा खुलवा दिया। तब जाकर अधिवक्ताओं का रोष भी ठंडा पड़ गया।