FARRUKHABAD : समाज से बिलकुल भिन्न दूसरों की खुशियों में पहुंचकर दुआयें देने वाले किन्नरों को बहुत कम ही लोगों ने पूजा इबादत करते देखा होगा। लेकिन शहर में ही एक जगह ऐसी भी है जहां किन्नर किसी विशेष आयोजन से पहले पूजा अर्चना कर कार्यक्रम के सफलता की दुआ करते हैं। वह जगह पल्ला पार्क के सामने स्थित है। जिसका इतिहास भी तकरीबन 200 साल से कम पुराना नहीं। इतिहास के नाम पर किन्नरों के उस पवित्र स्थल की महज एक दीवार ही शेष बची है।
पल्ला पार्क के सामने ककैया ईंट की बनी हुई मोटी सी एक दीवार कई छोटे छोटे आरे और एक बड़े आकार का नजर आयेगा। दर असल यह किन्नरों की मस्जिद कही जाती थी। जानकार किन्नरों के अनुसार तकरीबन 200 वर्ष पूर्व इनके गुरुओं ने यहां एक भव्य मस्जिद किन्नरों के लिए बनवायी थी। जहां किन्नर विशेष कार्यक्रम के शुरू होने से पूर्व अपना मत्था टेकने जरूर जाते थे।
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समय की मार के चलते किन्नरों की मस्जिद विवाद के घेरे में आ गयी। जमीन पर कब्जे को लेकर किन्नरों और एक स्थानीय व्यक्ति के बीच विवाद शुरू हो गया। जो बीते 30 वर्ष से चल रहा है। वहीं जिस जगह पर पटेल पार्क बना हुआ है वहां किन्नरों का बहुत बड़ा तालाब हुआ करता था। जिस पर किन्नरों के हाथी इत्यादि पानी पीकर अपनी प्यास बुझाते थे। जहां अब पटेल पार्क बना दिया गया है।
समय की मार झेल रही किन्नरों की मस्जिद में इतिहास के नाम पर सिर्फ एक ककैया ईंट की दीवार खड़ी है। स्थानीय लोग उस पर अपना कब्जा दिखा रहे हैं।
किन्नरों के गुरू हाजी मुजम्मिल ने बताया कि मुकदमें में फैसला कुछ भी आये लेकिन वह उनके लिए पवित्र स्थान है जहां वह सम्मेलनों और भण्डारों को प्रारंभ करने से पहले फूल, हार आदि चढ़ाकर मन्नत मांगते हैं। फैसला यदि उनके पक्ष में आया तो वहां पर पुनः किन्नरों की मस्जिद का निर्माण कराया जायेगा।