FARRUKHABAD : यह तो उसी दिन साफ हो गया था, जिस दिन सच्चिदानंद साक्षी महाराज ने पूर्व जिलाध्यक्ष भूदेव राजपूत के घर बैठक की थी। बैठक में जिला कमेटी से कोई भी पदाधिकारी साक्षी महाराज के दर्शन के लिए नहीं पहुंचा था। सवाल उसी दिन खड़े हो गये थे, क्यों, किसलिए और कैसे। लेकिन कोई कुछ कहने को तैयार नहीं था। अंदरखाने से मिली खबर ने सब कुछ खोलकर रख दिया।
साक्षी के फर्रुखाबाद आने के पीछे कुछ योजना थी और योजनाबद्ध तरीके से ही साक्षी महाराज को फर्रुखाबाद बुलाया गया था। साक्षी ने चुनाव लड़ने के भी कुछ सिग्नल दिये थे। लेकिन स्पष्ट रूप से कुछ भी कहने से इंकार कर दिया था। प्रश्न एक बार फिर खड़े हुए जब साक्षी महाराज कायमगंज से लेकर फर्रुखाबाद फतेहगढ़ तक तकरीबन दो दर्जन लोगों से भेंट करने गये। जिनमें से कुछ के घर पर सांत्वना देने पहुंचे। यह सब भी प्रीप्लान था। इन सभी के पीछे दिमाग चला कानपुर क्षेत्र के क्षेत्रीय महामंत्री का।
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दर असल साक्षी के फर्रुखाबाद आने से पहले पूरा कार्यक्रम सूचीबद्ध ढंग से किया गया। कुछ भाजपाई साक्षी के वृन्दावन आश्रम योजना को रूप देने के लिए गए थे. इसमें कोई खास बात नहीं। लेकिन बात तब खास हो जाती है जब राजनीति की गोटियों को हिलाकर देखें। दरअसल वर्तमान में लोकसभा टिकट के दावेदार मुकेश राजपूत के खासे करीबियों में से भाजपा जिलाध्यक्ष दिनेश कटियार, महामंत्री विमल कटियार के अलावा सत्यपाल सिंह को माना जा रहा था। भूदेव राजपूत तो पहले ही एक बार मुकेश के खिलाफ मोर्चा खोल चुके थे।
साक्षी महाराज के पहुंचने से पहले क्षेत्रीय महामंत्री कानपुर क्षेत्र सत्यपाल सिंह, पूर्व विधायक सुशील शाक्य के अलावा भूदेव राजपूत ने बंद कमरे में तकरीबन आधा घंटे तक वार्ता की। मुकेश के समर्थकों के साक्षी की शरण में न पहुंचने से लोधियों के बीच खींचातानी का माहौल बन गया है। साक्षी के जनपद में विभिन्न स्थानों पर दौरे, यहां तक कि नगर अध्यक्ष ज्ञानेश गौड़ के घर पर भी पहुचे और मंत्रणा की। इसके पीछे क्या रहस्य है।
पूरे भ्रमण का एक ही उद्देश्य था कि पुराने लोगों को इकट्ठा किया जाये और चुनावी समीकरण तैयार किये जायें। साक्षी के दौरे के बाद मुकेश राजपूत के करीबी समझे जाने वाले सत्यपाल सिंह की मुलाकात मुकेश से शहर के एक शादी समारोह में हुई।
जिस पर सत्यपाल ने मुकेश राजपूत को सफाई दी और कहा कि उन्हें इस सम्बंध में कोई जानकारी नहीं थी। भूदेव राजपूत ने धोखे से उन्हें अपने घर बुलाया था। सत्यपाल सिंह से इस सम्बंध में बात करने का प्रयास किया गया लेकिन मोबाइल से सम्पर्क नहीं हो पाया।
आखिर मुकेश के घर साक्षी गये तो क्यों गये?
राजनीति के माहिर खिलाड़ी सच्चिदानंद हरिसाक्षी का एक जमाने में वह जलवा था कि साक्षी तब साक्षी जी महाराज हुआ करते थे और उनके बराबर में बैठने की जिले में तो कोई हिम्मत कर नहीं सकता। संसद में पैसा लेकर सवाल पूछने जैसे घिनौने कृत्य से अचानक सुर्खियों में आये सच्चिदानंद हरि साक्षी की राज्य सभा से सदस्यता निरस्त होने पर जमकर फजीहत हुई थी। इसके बाद साक्षी महाराज एटा के एक विद्यालय प्रबंधिका के कत्ल के मामले में नामजद होने के बाद भागम भाग की भूमिका में हैं।
पिछले कई चुनाव हार चुके साक्षी महाराज का मुकेश के घर जाना एक छोटी घटना नहीं है। जिस चेले को पिछले चुनाव में वे पानी पी पी कर हरवा रहे थे, उसी चेले को आशीर्वाद देने के लिए बिना बुलाये उनके घर जाना एक सियासी चाल से ज्यादा कुछ नहीं।
इधर बातों बातों में ही साक्षी जी यह इशारा भी कर गये कि समाजवादी पार्टी के दबंग प्रत्याशी रामेश्वर सिंह यादव से मुकाबला करने में वे ही सक्षम हैं। वर्तमान में खबर मिली है कि साक्षी महाराज मोहम्मदाबाद क्षेत्र के 10-15 समर्थकों के साथ लखनऊ में डेरा डाले हैं और अपने फर्रुखाबाद दौरे के अपने विभिन्न जन सम्पर्कों का हवाला देकर भाजपा की टिकट की ओर खट्टे अंगूर की तरह देख रहे हैं। खबर मिली है कि मुकेश राजपूत का भी खेमा बराबर की भीड़ लेकर लखनऊ में अपना मोर्चा मजबूत किये है।