FARRUKHABAD : दीपक शुक्ला – फर्रुखाबाद में क्रांतिकारी गतिविधियों और क्रांतिकारियों के गुप्त अड्डे भी थे जहां से वह अंग्रेजों के खिलाफ अपना बिगुल फूंकने की तैयारी किया करते थे। मुख्य अड्डे शहर के बाहरी इलाकों में थे। जहां से वह अपनी गतिविधियां संचालित किया करते थे।
देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा था। अंग्रेजों के खिलाफ बगावत की आग जल रही थी। पूरे देश में अंग्रेजों के खिलाफ क्रांतिकारियों का आंदोलन जारी था। फर्रुखाबाद भी क्रांतिकारी आंदोलन का एक प्रमुख केन्द्र रहा। फर्रुखाबाद में बहुत मशहूर क्रांतिकारी नेता आये और उन्होंने यहां से गुप्त आंदोलन का नेतृत्व भी किया। जिसमें से दादा योगेश चटर्जी, रामनरायन उपाध्याय, शिव वर्मा, विजय कुमार सिन्हां, झारखण्डे राय, सत्य नरायन सिन्हां आदि के नाम प्रमुख हैं।
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क्रांतिकारियों ने मुख्य रूप से जनपद में तीन गुप्त व प्रमुख अड्डे बना रखे थे। पहला बढ़पुर स्थित रामबाग में, दूसरा तलैया फजल इमाम व तीसरा गंगा किनारे कमालगंज में बसा गढ़ तथा शहर के गंगा तट की विसरातें। क्रांतिकारियों ने सेन्ट्रल जेल फतेहगढ़ के अपने बंदी साथियों को रिहा कराने की योजना भी यहीं से बनायी थी।
मोहम्मदाबाद क्षेत्र के ग्राम रोहिला गांव के ठाकुर विशेश्वर सिंह जोकि अंग्रेजों के गुप्तचर हुआ करते थे और जो एडवर्ड पार्क इलाहाबाद में मशहूर क्रांतिकारी शहीद चन्द्रशेखर आजाद को मारने वालों में से था। उसके जबड़े में चन्द्रशेखर आजाद की गोली लगी थी। वह अपने पैतृक गांव रोहिला में क्रांतिकारियों से छिपकर रहता था। वल्कि यूं कहिए कि वह पुलिस सुरक्षा में कैदियों की भांति रहा। क्रांतिकारियों ने उसे जान से मारने और अपने साथी का बदला लेने का कई बार प्रयास किया। लेकिन पुलिस सुरक्षा मजबूत होने की बजह से उन्हें सफलता नहीं मिल पायी।