लखनऊ। साल 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने भी उत्तर प्रदेश में बीजेपी नेताओं की नकेल कसनी शुरू कर दी है। सूत्रों की मानें तो संघ ने यूपी से जुड़े सभी वरिष्ठ नेताओं के बीच टिकट को लेकर चल रही गुटबाजी को देखते हुए यह फरमान जारी किया है कि सभी बड़े नेता अपने गृह जिलों से ही लोकसभा चुनाव की तैयारी करें और वहीं से अपने टिकट की दावेदारी भी पेश करें।
संघ सूत्रों के मुताबिक, इस फरमान के बाद यूपी बीजेपी के सभी बड़े नेताओं में खलबली मची हुई है। कुछ वरिष्ठ नेताओं ने इस फरमान के बाद अपने गृह जिलों में अपनी तैयारी को अमली जामा पहनाना शुरू कर दिया है। संघ के फरमान से कई नेताओं की दूसरे क्षेत्रों से टिकट पाने की उम्मीद धरी की धरी रह गई है।
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बीजेपी में ऐसे नेताओं की एक लंबी सूची है जो अपने गृह जिले की बजाय दूसरे लोकसभा सीटों से टिकट की दावेदारी में जुटे हुए हैं। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, वरुण गांधी, सिद्धार्थनाथ सिंह, धर्मेंद्र प्रधान, मनोज सिन्हा, कुसुम राय सहित कई वरिष्ठ नेता दूसरे क्षेत्रों पर अपनी नजरें गड़ाए हुए हैं। सूत्रों की मानें तो संघ का यह फरमान इनमें से कई वरिष्ठ नेताओं को नागवार गुजरा है।
सूत्रों की मानें तो इस फरमान के बाद ही राजनाथ सिंह ने अपने गृह क्षेत्र में दो दिसंबर से ‘अटल ध्वज वितरण अभियान’ चलाने का निर्देश दिया है। यह अभियान चंदौली में दो दिसंबर से शुरू होकर अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन 25 दिसंबर तक चलाया जाएगा।
अभियान के आयोजक अखिल भारतीय सहकारिता प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक धनंजय सिंह ने बताया कि इस अभियान की शुरुआत मुगलसराय के कैलाशपुरी स्थित पोद्यार भवन से पार्टी के सह प्रभारी रामेश्वर चौरसिया करेंगे। उन्होंने बताया कि इस अभियान के तहत जिले के करीब 1500 बूथ एजेंटों को अटल ध्वज दिया जाएगा, जो सबसे पहले अपने घरों पर लगाकर अपने को पार्टी के हित में काम करने के लिए प्रेरित करेंगे।
सूत्रों के मुताबिक, इस अभियान को लेकर चंदौली में यह भी चर्चा है कि पार्टी अध्यक्ष राजनाथ अपने गृह जिले से लोकसभा चुनाव के लिए मैदान में उतर सकते हैं और इसी लिहाज से उन्होंने इस तरह का कार्यक्रम चलाने का निर्देश दिया है।
बीजेपी के सूत्र बताते हैं कि पूरे देश में नरेंद्र मोदी की बढ़ती लोकप्रियता से पार्टी के बड़े नेता भी घबड़ाए हुए हैं। उसमें राजनाथ का भी नाम शुमार है। यूपी में मोदी की आयोजित चार रैलियों में उमड़े अपार जनसैलाब को देखकर प्रदेश के सभी बड़े नेताओं के चेहरे पर खुशी की बजाय छटपटाहट साफतौर पर देखी जा सकती है।
पार्टी के ही एक पदाधिकारी ने स्वीकार किया कि इन नेताओं की चिंता की सबसे बड़ी वजह संघ के की ओर से मिला निर्देश ही है। इस निर्देश में सभी बड़े नेताओं को अपने-अपने गृह जिले से ही टिकट की दावेदारी करने को कहा गया है।
संघ के इस कड़े रुख के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह की भी चिंताएं बढ़ गई हैं। सिंह ने अप्रत्यक्ष रुप से अपने समर्थकों और शुभचिंतकों को चंदौली में ही डेरा डालने का निर्देश दिया है। सिंह के गृह जिले में बीजेपी की स्थिति हालांकि कभी मजबूत नहीं रही है। अगर संघ से मिले निर्देश पर सिंह को उनके गृह जिले से लोकसभा का टिकट मिला तो उनके लिए अपनी जीत सुनिश्चित कराना एक बड़ी चुनौती होगी।
राजनाथ की तैयारियों का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि अपने गृह जिले चंदौली में वह करीबी बूथ समितियों को चाक- चौबंद करने का काम भी शुरू कर चुके हैं। राजनाथ के करीबी और पूर्व एमएलसी अशोक धवन ने बताया कि प्रदेश में चंदौली एक ऐसा जिला है जहां पर पार्टी की सभी बूथ कमेटियां गठित हो चुकी हैं और सभी बूथ कमेटियां अपने-अपने क्षेत्र में कार्यक्रमों के जरिए सक्रिय हैं।
बीजेपी सूत्रों की मानें तो चंदौली सीट को लेकर कराए गए एक सर्वे में जिले की जनता की पहली पसंद हालांकि राजनाथ सिंह ही हैं। उसके बाद उनके बेटे और पार्टी के प्रदेश महामंत्री पंकज सिंह का नाम भी उभरकर सामने आया है। इस सीट से और कई बड़े नाम भी दोवेदारी की लाइन में हैं। पार्टी के दावेदारों में पूर्व सांसद आनंद रत्न मौर्य, अनिल मौर्य, चुलबुल सिंह, सुशील सिंह, धनंजय सिंह और जवाहर जायसवाल का नाम भी शामिल है।