दिल्ली: पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई के भारत विरोधी ऑपरेशन विभाग का मानना है कि इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के आतंकियों का अब तक भरपूर इस्तेमाल नहीं हो पाया है। आईएसआई की योजना है कि आईएम का इस्तेमाल आत्मघाती दस्ते के रूप में किया जाए। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ने इस मिशन के लिए आतंकी संगठन लश्कर-ए-ताइबा के अलावा जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन से भी मदद ले रही है।
भारतीय सुरक्षा एजेंसियां यह अंदाज नहीं लगा पा रही हैं कि आईएसआई की यह योजना किस स्तर पर पहुंच चुकी है। यही बात सरकार के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।
खुफिया एजेंसी के सूत्रों ने बताया है कि इसी तरह 26/11 हमले से करीब साल भर पहले एक छोटी सी खुफिया सूचना मिली थी कि लश्कर-ए-ताइबा मैरिन कमांडो दस्ता तैयार कर रहा है। एक साल बाद वही दस्ता कराची से समुद्र के रास्ते मुंबई पहुंच कर तीन दिन तक कहर बरपाता रहा।
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अधिकारी के मुताबिक यही वजह है कि एजेंसियां इस खुफिया सूचना को कतई हल्के में नहीं ले रही है। अधिकारी ने जानकारी दी कि हालांकि आत्मघाती दस्ते की योजना के बारे में आईएम के मास्टरमाइंड यासीन भटकल ने पूछताछ के दौरान कुछ बातें बताई थी। लेकिन पिछले दिनों दुबई और सउदी अरब में बैठे दो लोगों की बातचीत के इंटरसेप्ट ने सुरक्षा एजेंसियों को ज्यादा सजग कर दिया है।
अधिकारी ने बताया कि इसी इंटरसेप्ट से यह भी पता चला है कि 2014 के चुनावी माहौल का फायदा उठाकर नरेंद्र मोदी समेत बड़े नेताओं के काफिले पर विस्फोटक से लदी गाड़ी टकराने की योजना है।
सूत्रों के मुताबिक जाहिर तौर पर विस्फोटक वाली गाड़ी अपने आप चल कर नहीं टकराएगी। इसे जो भी चलाएगा वह निश्चित तौर पर उसी धमाके में मारा जाएगा। खुफिया एजेंसी इसका मतलब यह लगा रही हैं कि आईएम के आत्मघाती दस्ते की योजना पर काम जरूर चल रहा है। भले वह इसमें सफल हो पाए या नहीं।
अधिकारी के मुताबिक यह इंटरसेप्ट सुरक्षा एजेंसियों के लिए नयी चुनौती लेकर आया है। सूत्रों ने बताया कि सभी राज्यों को अलर्ट कर दिया गया है कि वह नेताओं का काफिले के लिए खास इंतजाम रखें।