FARRUKHABAD : मदारबाड़ी में चल रहे मानस सम्मेलन के कार्यक्रम में रासाचार्य स्वामी लेखराज शर्मा ने वर्तमान में धार्मिक रास शब्द को बदनाम करे के विषय में अपने विचार रखे और उन्होंने वर्तमान में धर्मगुरुओं द्वारा रासलीला का गलत तरीके से प्रदर्शन करने पर भी चिंता जाहिर की।
स्वामी लेखराज शर्मा ने कहा कि रास तत्व की सत्य विवेचना में भगवान श्रीकृष्ण योगीराज, नटवर नागर द्वारा भगवत की कथाओं पर आधारित बाल लीलाओं में मानव जीवन में रस प्रदान, आनंद की अनुभूति और अपने ठाकुर जी की आराधना मानते हैं। वर्तमान समय में रास शब्द को लोगों ने बदनाम कर दिया है। उसे अश्लीलता के साथ जोड़ दिया है। जबकि बृजवासियों ने कृष्ण 16 कलाओं से युक्त और श्री राधा 64 कलाओं से युक्त भगवान श्रीकृष्ण की आध्यात्मिक शक्ति है। रासलीला द्वारा भगवान का नाम, रूप दर्शन और भव सागर में जीव की मुक्ति करना।
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स्वामी लेखराज के निर्देशन में श्री राम और श्याम लीला रसपान वृंदावन के द्वारा भारत में ही नहीं विश्व के धरातल पर भारतीय संस्कृति एवं श्री हरी नाम सकीर्तन का भाव हरिओम शर्मा एवं ओमप्रकाश शर्मा रासलीला/रामलीला के माध्यम से भगवत चरित्र का गुणगान करते हुए मानव जीवन में आध्यात्मिक सुख शांति देने का आंदोलन चला रहे हैं और समाज में फैली विकृतियों को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं।
कार्यक्रम में रासलीला के अन्तर्गत भगवान श्रीकृष्ण, माता यशोदा का वात्सल्य, मित्र सखाओं के माध्यम से गोवर्धन लीला, दुष्टों का वध, कभी ठाकुर जी अपने भक्तों के लिए प्रेम रस में महारास के द्वारा आध्यात्मिक सुख की लीलाओं का मंचन करते नजर आये।
कलाकारों ने भगवान श्रीकृष्ण की विभिन्न लीलाओं के माध्यम से श्रोताओं को श्रद्धा के समुंदर में गोते लगवाये। इस दौरान संयोजक भारत सिंह, संचालक बृजकिशोर सिंह किशोर, प्रमोद कनौजिया, लाला विनोद गुप्ता, हरीबाबू गुप्ता, वेदप्रकाश गुप्ता व रामू दाल वाले, फोटो ग्राफर रवीन्द्र भदौरिया, अनुराग पाण्डेय, पण्डित सर्वेश कुमार शुक्ला, पंण्डित अरविंद चतुर्वेदी आदि मौजूद रहे।