फर्रुखाबाद: मीडिया में सरकार के खिलाफ अन्य दलों के बयान का छाया कवरेज और सरकार के खिलाफ बन रहे माहौल को कंट्रोल करने के लिए लखनऊ से बड़े बड़े अफसर जिलों में दौडाए गए है| जिलों में निरीक्षण और समीक्षा होगी| दो दो दिन का ठहराव होगा| तो मीडिया में सरकार के कामो को कवरेज मिलेगा| सब कुछ लिखी लिखाई स्क्रिप्ट के अनुसार सचिव का दौरा दिखाई पड़ रहा फर्रुखाबाद में| दौरे के दूसरे दिन सुबह सुबह लोहिया अस्पताल में निरीक्षण कार्यक्रम हुआ| अस्पताल की दिशा और दशा बदली बदली सी नजर आई| एक घंटे के निरीक्षण में साहब ने अपने कान का इलाज बिना 1 रुपये वाला परचा बनबाये कराया| और अस्पताल के बाहर निकल कर मीडिया से कहा केवल डॉक्टर्स और स्टाफ की कमी है शासन को लिखेंगे| जो कुछ मौजूद है उस पर क्या सब ठीक है, मीडिया के इस सवाल पर कुछ कुछ लाजबाब दिखे सचिव साहब|
सुबह 8.25 पर लोहिया अस्पताल में पी डब्लू डी के सचिव संजीव कुमार निरीक्षण करने दल बल के साथ पहुचे| वैसे साहब निर्माण के अधिकारी है लिहाजा लोहिया में सिविल का काम देखा| सिविल का काम ठीक ठाक दिखा| उसी के वे विशेषज्ञ है| उन्हें जिले में कोई बड़ा काम निर्माण का देखना था सो गाँव देहात में तो कोई मिला नहीं अलबत्ता लोहिया अस्पताल का देख लिया, निरीक्षण कर लिया और शासन को रिपोर्ट भेज देंगे| अब साहब लोहिया अस्पताल में तो साहब ने वो देखा जो उन्हें दिखाया गया था| हर कमरे में फिनायल का पोचा, रगड़ रगड़ के साफ़ किये गए टायल और जरनेटर से बिजली| आम तौर पर सुबह रजिस्टर पर दस्खत कर चाय पीने के लिए निकल जाने वाले डॉक्टर सुबह 8 बजे से पहले तैनात थे| सफ़ेद अप्रैन, उस लगी नाम पट्टी और कमरे में यथास्थान धरे दिखे डॉक्टर|
चूँकि ये प्रचलन में है की फर्रुखाबाद का जिला चिकित्सालय डॉ राम मनोहर लोहिया अस्पताल में डॉक्टर 9 बजे के बाद बैठते है लिहाजा ओपीडी में सुबह 8 बजे मरीज क्यूँ आने लगा लिहाजा सुबह भीड़ भी नहीं थी| मरीज है नहीं तो दिक्कत किसे होगी| कौन शिकायत करेगा? लिहाजा सबसे बेहतर है जनता से बचना और इसके लिए सब तैयारी स्क्रिप्ट के अनुसार थी|
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संजीव कुमार ओपीडी के गेट से घुसे, डीएम पवन कुमार और सीएमएस मिश्राजी ने पूरा अस्पताल घुमाया| उमस के मारे पसीने पसीने हो गए| इमरजेंसी गेट से बाहर आये तो अनचाहे मीडिया का बंधुओ को कुछ जबाब भी देना पड़ा| बोले डॉक्टर की कमी है सरकार को लिखेंगे| १० साल से कमी है कोई नयी बात नहीं| बात आगे बढ़ाई बोले डॉक्टर गाँव नहीं जाना चाहता, नगर में तैनाती चाहता है फिर प्राइवेट प्रक्टिस जमा लेता है और सब कुछ जम जाने के बाद नौकरी छोड़ देता है| यही चूक गए साहब| सब कुछ जम जाने के बाद डॉक्टर नौकरी नहीं छोड़ता| प्राइवेट प्रक्टिस भी करता है और नौकरी भी नहीं करता केवल वेतन लेता है| फर्रुखाबाद में 6 डॉक्टर्स ऐसा ही कई वर्षो से कर रहे है| और पिछली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री इन्हें पाल रहे थे, इस सरकार में कौन पाल रहा मालूम नहीं| खैर सचिव महोदय से जब सवाल हुआ कि कमी बड़ी छोड़ो जो है उसमे क्या सब ठीक है? इस सवाल पर गेंद कुछ बोउन्स नजर आई, डी एम् साहब की आवाज आई चलिए साहब और सवाल की इस गेंद को बिना खेले साहब पहले से तैयार वातानुकूलित कार में बैठ अगले चूना पड़े निरीक्षण स्थल की और बढ़ लिए| पीछे पीछे 19 सरकारी जीप कार पेट्रोल फूकते हुए दौरा करा रही थी| सुधार कितना होगा, जनता को कुछ राहत मिलेगी इसको तो राम जाने मगर मीडिया में दो दिन कवरेज खूब मिलेगा| साहब ने इसे फटकारा, साहब ने उसे फटकारा …………….|