लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रिहायशी कालोनियों में बैंक, प्राइवेट स्कूल, नर्सिग होम आदि व्यावसायिक भवनों, दुकानों को जब्त कर अन्यत्र शिफ्ट करने का निर्देश दिया है और जीडीए को बिना देरी किए कार्रवाई करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि गाजियाबाद, नोएडा व ग्रेटर नोएडा में रिहायशी कालोनियों के व्यावसायिक उपयोग करने पर सुप्रीम कोर्ट की लगी रोक सभी प्राधिकरणों पर लागू होगी। यह पूरे प्रदेश पर प्रभावी है।
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यह आदेश न्यायमूर्ति सुनील अम्बवानी तथा न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी की खण्डपीठ ने श्रीमती रामा रानी मलिक की याचिका को खारिज करते हुए दिया है। याची ने कवि नगर स्थित अपने आवास केएल 44 को पंजाब नेशनल बैंक को किराए पर दिया है। जीडीए ने रिहायशी प्लॉट का उपयोग व्यवसायिक में बदलने की अर्जी भी 11 वर्ष बाद खारिज कर दी तथा बैंक को भवन खाली करने का निर्देश दिया। याचिका इस मांग में दाखिल की गई कि जीडीए याची की अर्जी जब तक निर्णीत नहीं करता तब तक बैंक को भवन खाली करने को बाध्य न किया जाए। जब कोर्ट को बताया गया कि याची की अर्जी निरस्त हो गई तो याची ने कहा कि इसकी जानकारी उसे नहीं है। कोर्ट ने इस मामले में कोई निर्देश देने से इंकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा में रिहायशी कालोनियों से व्यवसायिक संस्थाएं हटाने का आदेश दिया है जो कि पूरे प्रदेश के सभी प्राधिकरणों पर समान रूप से लागू है। रिहायशी कालोनियों के व्यवसायिक उपयोग की अनुमति नहीं दी जा सकती। सरकार ने 21 दिसम्बर 11 को शासनादेश भी जारी किया है। इसके बावजूद कार्रवाई नहीं की जा रही है।