सपा नेता का खौफ, इंतजार करवाने वाले तीन सिपाहियों को SSP मुरादाबाद ने पीटा

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Police Politicsलखनऊ। यूपी के पुलिस अधिकारी सत्तारूढ़ सपा के नेताओं की चापलूसी में इस कदर गिर चुके हैं कि वो अपने अधीनस्थों को सिर्फ इसलिए सरेआम मारने से भी नहीं चूक रहे ताकि नेता जी के सामने उनके नंबर बढ़ सकें और अगली मलाईदार पोस्टिंग मिल सके | ऐसा ही मामला रविवार को मुरादाबाद जिले में सामने आया जहां एसएसपी साहब ने अपने आवास पर पहुंचे सपा नेता और लोकसभा उम्मीदवार को इंतजार करवाने वाले तीन सिपाहियों को झाडू, वाइपर और डंड़े से पीटकर चोटिल कर दिया। अपने वरिष्ठ अधिकारी से पिटे सिपाहियों का कहना है कि समाजवादी पार्टी के नेता एएसपी साहब से मिलने आए थे, साहब व्यस्त थे इसलिए उनसे इंतजार करने को कहा गया था। यह बात साहब को नगवार गुजरी।

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मिली जानकारी के मुताबिक मुरादाबाद से समाजवादी पार्टी के लोकसभा प्रत्याशी डॉ एस. टी हसन, एसएसपी राजेश मोदक से मिलने उनके आवास पर पहुंचे थे। एसएसपी साहब के बंगले पर तैनात सिपाही ने नेता जी को साहब के आने तक बाहर बैठकर इंतजार करने के लिए कहा। एसएसपी साहब से मुलाकात के दौरान डॉ हसन ने सिपाहियों की शिकायत कर दी। जिसके बाद एसएसपी साहब ऐसे बिफरे की उन्होंने जो हाथ आया उसी से तीनों सिपाहियों की धुनाई कर दी। पीडि़त सिपाहियों ने अपने वरिष्ठ अधिकारी द्वारा किए गए व्यवहार की शिकायत उच्च अधिकारियों से कर दी है, लेकिन अभी तक राजेश मोदक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

इस पूरे मामले में सबसे अहम बात यह है कि एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को ऐसी कौन सी बात ने परेशान कर दिया कि वह अपने गुस्से पर आपा नहीं रख पाए ? क्या उनके ऊपर कोई दबाव है जिसके चलते उन्होंने ऐसा कृत्य किया क्योंकि अधिकारियों से मिलने के लिए इंतजार करना तो आम बात है जैसा कि हम सभी जानते हैं।

आपकों बता दे कि मुजफ्फरनगर हिंसा के बाद एक निजी समाचार चैनल द्वारा किए आए स्टिंग आपरेशन में सामने आए अधिकारियों के बयानों में भी इस बात की पुष्टि हुई थी कि सरकार में बैठे राजनेताओं ने पुलिसिया कार्रवाई में हस्तक्षेप किया था। जिसके चलते हालात बिगड़े थे।

यूपी के मुख्यमंत्री भले ही न मानते हो लेकिन मुरादाबाद एसएसपी द्वारा सिपाहियों को पीटे जाने के बाद कहना गलत नहीं होगा कि पुलिस अधिकारियों पर सत्ताधारी दल के नेताओं की जी हजूरी बजाने का दबाव है। जब वरिष्ठ अधिकारियों का आलम यह है तो शहर के गली नुक्कड पर ड्यूटी बजाने वाले सिपाहियों और दरोगाओं से क्या उम्मीद की जा सकती है…?