FARRUKHABAD : हिन्दी दिवस पर जनपद के जाने माने कवियों ने अपनी कलम के कमाल को शब्दों में पिरोकर पेश किया तो गोष्ठी में मौजूद श्रोता मंत्रमुग्ध हो गये। गोष्ठी में कहा गया कि किसी भी राष्ट्र की पूर्णता और पहचान उसके भूगोल और भाषा से होती है।
बैंक आफ बड़ौदा सेठ गली के प्रांगण में आयोजित किये गये हिन्दी दिवस के कार्यक्रम में शुभारंभ बैंक प्रबंधक ग्रीशचन्द्र वैष्णेय ने सरस्वती की प्रतिमा पर मार्ल्पण कर किया। कार्यक्रम के संयोजक निमिष टंडन रहे। भारती मिश्रा नें सरस्वती वंदना करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया युवा गीतकार दिनेश अबस्थी नें रचना पढ़ी, बक्त अब भी है थोड़ा संभल जाइये सच्चे जीवन के ढांचे में ढल जाइये।
उपकार मणि नें सत्ताधारियों की हिन्दी के प्रति नजरिये पर आक्रोश जताया, हिन्दी की सनातन परंपरा से खेलते हो तोड़ नहीं पाये तो मरोड़ देना चाहते हो। श्रीमती भारती मिश्रा नें हिन्दी को भारतीय अबला की तरह चित्रित किया, खुद को सच सावित करने को ऐसा कौन सा हवाला है जो दिया नहीं जिंदगी का कौन सा ऐसा निवाला है, जो खून से घूंट सा पिया नहीं।
डॉ० कृष्णकांत अक्षर नें रचना पढ़ी मोक्ष की धारा बहाई अनुनय की भाषा शिशुपाल कव मानते हैं इसके लिये कराल चक्र होना चाहिये। वरिष्ठï गजलकार नरेन्द्र श्रीवास्तव नें अपनी गजलों से समा बांध दिया, राह थी मुश्किल मगर विल्कुल न घवराते रहे मगर पेट की खातिर परिंदे दूर तक जाते रहे।
प्रवंधक गिरीश चन्द्र बाष्णेय नें सभी का आभार व्यक्त किया और हिन्दी को रोजगार की भाषा बनाने कह बात कही। गोष्ठी की अध्यक्षता नरेन्द्र श्रीवास्तव व संचालन निमिष टंडन नें किया। श्रोताओं में वैंक स्टॉफ के केदार शाह, उमेश दीक्षित, आनन्द पाल सिंह चौहान, एनके जैन, रामऔतार शुक्ला, कोमल सक्सेना, आलोक गौड़, दिवाकर तथा रश्मी सिसौदिया सहित कई लोग मौजूद रहे।