ग्रामीणों को फ्री मोबाइल, छात्रों को टैबलेट देगा केंद्र

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akash tabletनई दिल्ली। चुनाव सिर पर हैं तो खैरातों की बाढ़ सी आ गई है। लोकलुभावन योजनाओं की फेहरिस्त में अब एक और खास योजना को जोड़ने की तैयारी है। ये है मुफ्त मोबाइल और टैबलेट बांटने की मेगा स्कीम। केंद्र सरकार ने चुनाव से ठीक पहले गरीबों को ढाई करोड़ मोबाइल फोन और 90 लाख टैबलेट बांटने की योजना तैयार कर ली है। इस योजना पर 7 हजार 860 करोड़ खर्च आने का अनुमान है।

सूत्रों का दावा है कि यूपीए सरकार इस योजना के तहत गरीबों को 2.5 करोड़ मोबाइल फोन और 90 लाख टैबलेट बांटेगी। इस योजना को शहरी और ग्रामीण लोगों के बीच पैदा हुई डिजिटल खाई को पाटने के नाम पर लाने की तैयारी है। हालांकि ऐसी किसी योजना की सुगबुगाहट तक को दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने खारिज कर दिया है।
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कपिल सिब्बल कैमरे के सामने जो भी बोलें लेकिन कैमरा हटते ही उनका रुख नरम पड़ जाता है। सूत्रों की मानें तो इस योजना में लुभाने के लिए और भी बहुत कुछ है। माना जा रहा है कि गरीबों को दिए जाने वाले मोबाइल में दो साल के लिए फ्री कनेक्शन होगा। इसके लिए उनसे 300 रुपये लिए जाएंगे। इसमें उन्हें हर महीने 30 मिनट का टॉक टाइम 30 एसएमएस और 30 एमबी डेटा फ्री मिलेगा। मोबाइल फोन की ये योजना सिर्फ ग्रामीण इलाकों के लिए होगी।

दूसरी योजना के तहत ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों के 11वीं और 12वीं के छात्रों को टैबलेट दिए जाएंगे। टैबलेट में हर महीने 75 मिनट का टॉक टाइम, 75 एसएमएस और 500 एमबी डेटा कनेक्शन मिलेगा। इस योजना पर करीब 7860 करोड़ रुपये खर्च होंगे। अगले चार साल तक ये मोबाइल और टैबलेट बांटे जाएंगे।

विपक्ष को इस योजना पर ऐतराज होना ही है। लेकिन जो खुद मुफ्त में लैपटॉप बांट रहे हैं, उनकी भी तल्खी गौर करने लायक है। समाजवादी पार्टी नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि ये सरकार उस बाप की तरह है जो अपनी अय्याशियों के लिए औलाद को कंगाल कर रही है। सूत्रों की मानें तो टेलीकॉम कमिशन को ये प्रस्ताव भेजा जा चुका है। कमिशन से ये प्रस्ताव मंजूर होते ही इसे कैबिनेट को भेजा जाएगा। इस योजना को बीएसएनएल के जरिए लागू करवाया जा सकता है।

योजना के जरिए पहले साल 25 लाख मोबाइल और 15 लाख टैबलेट बांटे जाएगे। दूसरे साल 50 लाख मोबाइल और 35 लाख टैबलेट बांटे जाएंगे। तीसरे साल 75 लाख मोबाइल और 40 लाख टैबलेट मिलेंगे। चौथे साल ये योजना बंद हो जाएगी, लेकिन डेटा कनेक्शन सर्विस पर 150 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इस योजना के लिए लाभार्थियों का चयन राज्य सरकारें करेंगी। लेकिन केंद्र की योजना पर विरोधी पार्टी की सरकारों का रवैया क्या होता है, ये देखने वाली बात होगी।