आसाराम बापू निर्दोष- भाजपा जिला उपाध्यक्ष

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FARRUKHABAD : भारतीय जनता पार्टी के जिला उपाध्यक्ष रूपेश गुप्ता ने परम पूज्य सन्त आसाराम बापू के आरोपों को निराधार बताया। उन्होंने कहा कि बापू जी को बदनाम करके इस देश में समाज के लिए अच्छा कार्य करने वालों का मनोबल तोड़े जाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होने कहा कि जिस प्रकार से इलेक्ट्रानिक मीडिया ने बापू जी के ऊपर लगे आरोपों को दिखाया है, ऐसा इस देश के खूंखार आतंकवादियों को भी नहीं दिखाया गया है। इस समय जब देश में संसद सत्र चल रहा हो एवं दो बड़े आतंकवादी को इस देश की पुलिस ने गिरफ्तार किया, ऐसे में उन गम्भीर मुद्दों को छोड़कर इस इलेक्ट्रानिक मीडिया के लोगों ने देश को ऐसा दिखाया जैसे देश में इस मुद्दे से बड़ा और कोई भी मुद्दा है ही नहीं और बापू जी पर अपराध सिद्ध हो गया हो।

18 साल से नीचे लड़की को नाबालिग माना जाता है तो 60 साल से ऊपर नागरिक को वरिष्ठ नागरिक माना जाता है। जिस प्रकार से 18 साल से कम उम्र की लड़कियों के लिए विशेष कानून है, वैसे ही 60 साल से ऊपर व्यक्तियों के लिए विशेष सम्मान है। अगर वह लड़की नाबालिग है तो आसाराम भी 77 साल के वरिष्ठ नागरिक हैं। जिस प्रकार से लड़की से उम्मीद की जा रही है कि वह गलत नहीं बोलेगी इसी प्रकार से 77 साल के व्यक्ति से ऐसी उम्मीद नहीं हो सकती।

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ROOPESH GUPTAलेकिन देश की इलेक्ट्रानिक मीडिया ने लड़की को नाबालिग मानकर उसके वयानों को सही माना और आसाराम बापू को वरिष्ठ नागरिक न मानकर उनकी बात को गलत माना। आखिर यदि वह नाबालिग लड़की सही हो सकती है तो बापू क्यों नहीं हो सकते हैं। आखिर लड़की की अहमियत और उसके सम्मान को जो ठेस पहुंची है और यह बात झूठ हुई तो बापू के सम्मान और उनके करोड़ों साधुओं की श्रद्धा का क्या होगा।
जिस उम्र की वह लड़की है, उस उम्र की लाखों साधकों की श्रद्धा और भावनायें जो आहत हुईं हैं उसका क्या होगा। आखिर इस देश की इलेक्ट्रानिक मीडिया बापू को केस चलाने से पहले ही दोषी सिद्ध करने पर क्यों तुली हुई है। इलेक्ट्रानिक मीडिया ने इस केस में अपना रोल पत्रकारिता का छोड़कर सेल्समैन का शुरू कर दिया है। मीडिया ने इस रिपोर्ट में ऐसा क्या देखा कि जिसमें नाबालिग के साथ अन्याय होता दिखा, बापू अपराधी दिखे। आखिर इलेक्ट्रानिक मीडिया ने एक पक्षीय खबर क्यों दिखायी। जिस प्रकार घटनाक्रम है, उससे यह रिपोर्ट बिलकुल फर्जी दिखायी है और ऐसा लगता है कि इसकी पटकथा काफी पहले लिखी जा चुकी थी। इस रिपोर्ट के लिखने के तरीके से ही इस षड़यंत्र की बू आती है। जिसकी जांच अत्यंत आवश्यक है। इस देश के करोड़ों लोग उस लड़की के परिवार और पैरोकारों से कुछ उत्तर चाहते हैं।

बापू जी से उसने सिर्फ यौन शोषण की बात कही, न कि शारीरिक सम्बंध की। कहीं ऐसा तो नहीं कि शारीरिक सम्बंध की बात लिखने के बाद डीएनए टेस्ट कराया जाता है और उस समय अश्लीलता का पर्दाफास हो जाता। लेकिन यौन शोषण में ऐसा कुछ नहीं हो पाता। इसलिए उसने सिर्फ यौन शोषण की बात कही, न कि शारीरिक सम्बंध की जिसे सिद्ध नहीं किया जा सकता। उसने घटना स्थल को छोड़कर दिल्ली में रिपोर्ट क्यों लिखायी?
पुलिस साधारणतः रिपोर्ट लिखने में बहुत समय लगाती है, फिर इतने बड़े धार्मिक संत पर जीरो एफआईआर कैसे दर्ज कर ली गयी?

लड़की के परिवार एवं षड़यंत्रकारियों को खूब मालूम था कि अब नये कानून के तहत यौन शोषण भी दुष्कर्म की धारा में आने लगा है। जबकि यही नया कानून राजस्थान की पुलिस को नहीं मालूम है। इस कारण जोधपुर के डीसीपी ने दिल्ली की जीरो एफआईआर को गलत माना था। लड़की का आरोप है कि बापू ने डेढ़ घंटे उसका मुहं दबाये रखा, क्या यह संभव है कि एक हाथ से मुहं दबाकर एक हाथ से यौन शोषण किया जा सके। क्या लड़की ने अपने बचाव में 77 साल की उम्र के बापू को रोकने का प्रयास नहीं किया होगा। क्या डेढ़ घंटे मुहं दबाने और रोकने के प्रयास में लड़की और आशाराम बापू को कोई चोट नहीं आयी होगी। मेडिकल रिपोर्ट में लड़की के शरीर में चोट के कहीं निशान नहीं पाये गये। इन सब बातों को नजरंदाज कर इलेक्ट्रानिक मीडिया ने एक पक्षीय खबर क्यों दिखायी, उसके पीछे राजनैतिक विरोध के अलावा बहुराष्ट्रीय कंपनियों का भी विरोध है। जिसका प्रमुख कारण है आसाराम बापू के करोड़ों साधकों पर उनका प्रभाव एवं उनके आश्रम में बनने वाले उत्पादों का करोड़ों लोगों द्वारा प्रयोग। जिस कारण राजनैतिक दलों को अपने वोट का नुकसान बहुराष्ट्रीय कंपनियों को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान एवं मीडिया को उनके यहां बनने वाले उत्पादों का कोई विज्ञापन नहीं मिलता। इस कारण बापू की छवि को बदनाम किया जा रहा है। जो देश धर्म और समाज के लिए बहुत घातक है और यह भारत के संतो ंके लिए बहुत ही चिंता का विषय है। भारत की इलेक्ट्रानिक मीडिया संतों से अपेक्षा रखती है कि वह सिर्फ पहाड़ों, वनों में जाकर तपस्या करें और समाज के अच्छे कार्यों के लिए आगे नहीं आयें। इस कारण भारत के सभी प्रमुख संतों को एक एक करके बदनाम कर साजिशन फसाया जा रहा है। जिसकी जांच सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश से करायी जाये।

वयान भारतीय जनता पार्टी के जिला उपाध्यक्ष रूपेश गुप्ता के द्वारा जारी किया गया है।

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