कहीं पे निगाहे, कहीं पे निशाना- लेखपालो के भ्रष्टाचार पर डीएम ट्रान्सफर

Uncategorized

suspendफर्रुखाबाद/डेस्क: जिलाधिकारी लखीमपुर खीरी मनीषा त्रिघाटिया को लेखपालो के भ्रष्टाचार को न रोक पाने की सजा मिली| हालाँकि उत्तर प्रदेश में ये आम प्रचलन है कि लेखपाल जनता में जो भी करते है उसकी जानकारी डीएम तक होती है| मगर मामला निलंबित करने का आ जाए तो बीच की कड़ी एस डी एम् और तहसीलदार को छोड़ सीधे डीएम नाप दिया जाए तो बात सोचने लायक बन जाती है| निगाहे कहीं और निशाना कहीं| आम तौर पर किसी नौकरशाह को हटाए जाने पर प्रशासनिक लापरवाही का हवाला दिया जाता रहा है। मगर सरकार ने अब इन अफसरों को हटाए जाने के साफ-साफ कारण बताने शुरू कर दिए हैं। ट्रांसफर-पोस्टिंग के इस तौर-तरीके से वरिष्ठ नौकरशाह तक हतप्रभ हैं।
एक वरिष्ठ आईएएस बताते हैं कि आमतौर पर अब तक किसी अधिकारी को हटाया जाता रहा है तो प्रशासनिक वजह ही बताई जाती रही है। संभवत: यह पहला मौका होगा जब किसी अफसर को बाकायदा यह कहकर हटाया गया है कि वह लेखपालों के भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लगा सकी।
[bannergarden id=”8″][bannergarden id=”11″]
पहले एक युवा आईएएस पर मस्जिद की दीवार गिरवाने की तोहमत और अब दूसरे पर लेखपालों के भ्रष्टाचार पर अंकुश न लगा पाने का आरोप। इनका दर्द इतना ही नहीं है। वह कहते हैं अव्वल तो लेखपालों के मामले में कार्रवाई पहले तहसीलदार व एसडीएम पर होनी चाहिए।
मगर कार्रवाई सीधे डीएम पर की गई। इससे साफ है कि सरकार की निगाह कहीं है और निशाना कोई और बन रहा है। कनिष्ठ का नुकसान कर वरिष्ठों को संदेश देने का यह तरीका समझ से परे है। इससे युवा अफसरों पर गलत असर पड़ सकता है।