फर्रुखाबादः भाई-बहन के प्यार के प्रतीक राखी पर चीनी निर्यातकों ने हमला बोल दिया है। सस्ते दाम और अच्छे मुनाफे के चलते स्थानीय विक्रेता भी चीनी राखियां ही बेच रहे हैं। कलाई पर सजी बड़ी-बड़ी राखियों को पीछे छोड़ अब चीन में बनी धागें में पिरोये एक या दो मोतियों वाली राखियां ही दुकानों पर बिकती दिख रही हैं। हल्की और सस्ती होने के कारण ग्राहक भी इन राखियों की ओर आकर्षित नजर आ रहे हैं।
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पर्वों और उत्सवों के देश भारत में यूं तो आए दिन कोई ना कोई त्यौहार मनाया ही जाता है लेकिन इन सबके बीच एक त्यौहार ऐसा भी है जिसका उद्देश्य भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को और अधिक मजबूत करना है। रक्षाबंधन या राखी चाहे किसी भी नाम से इसे पुकार लें लेकिन इस दिन का महत्व सभी भाई-बहनों के लिए समान रूप से होता है। भाई-बहन का रिश्ता बड़ा अनोखा होता है, वे लड़ते भी हैं, झगड़ते भी हैं और कभी-कभार तो कई दिनों तक एक-दूसरे से बात भी नहीं करते लेकिन जितना सच यह है उतना ही सच है उन दोनों के बीच सौहार्द और अपनेपन का रिश्ता। वह आपस में कितना ही लड़ लें लेकिन अगर इस लड़ाई में कोई तीसरा दखल देता है, फिर चाहे वह अपने माता-पिता ही क्यों ना हों, उन्हें बिल्कुल बर्दाश्त नहीं होता।
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कुछ ही दिनों में आने वाला है रक्षाबंधन का पर्व। इस दिन को कैसे मनाना है, क्या-क्या करना है यह तो सभी ने निर्धारित कर ही लिया होगा। लेकिन इन हालातों के बीच सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों से विवश होकर आज बहुत से भाई-बहन एक-दूसरे से दूर हैं। भाई-बहन से जुड़ी चुलबुली यादों को, चाहे तो बचपन में गुजारे उन हसीन लम्हों को भी आप अपने अपनों व अन्य पाठकों के साथ JNI पर बांट सकते हैं। क्या पता जो बात आप बोलकर कभी अपने भाई-बहनों को नहीं बता पाए वह आपकी लिखावट बयां कर दे। आप अपनी यादें और सन्देश मैसेज बॉक्स में लिख सकते हैं हम इनको प्रकाशित कर देंगे|