वाहनों में लाल-नीली बत्तियों के अवैध इस्तेमाल मामले में हाईकोर्ट की सख्ती के बाद राज्य सरकार ने सम्मान की संशोधित वरीयता सूची (सहायक पूर्वताधिपत्र) जारी कर दी है।
इसमें उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस को मुख्यमंत्री के रुतबे के बराबर के क्रम पर रखा गया है। वहीं, हाईकोर्ट के अन्य न्यायाधीशों को राज्य के मंत्रियों, नेता विरोधी दल व लोकायुक्त के समकक्ष रखा गया है।
[bannergarden id=”8″][bannergarden id=”11″]
सबसे ऊपर राज्यपाल को एवं सबसे नीचे जिलाधिकारी, जिला न्यायाधीश, पुलिस अधीक्षक एवं मुख्य चिकित्साधिकारी को रखा गया है। प्रदेश सरकार ने 17 जुलाई को इसका सरकारी गजट भी प्रकाशित किया है।
हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के निर्देश पर इसे कोर्ट में पेश किया गया। वरिष्ठ न्यायमूर्ति उमानाथ सिंह व न्यायमूर्ति महेंद्र दयाल की खंडपीठ ने इसे रिकॉर्ड पर ले लिया।
कोर्ट ने कहा, चूंकि सहायक पूर्वताधिपत्र को समुचित ढंग से संशोधित कर दिया गया है लिहाजा अब कोई विरोधाभास नहीं है। ऐसे में सम्मानक्रम की वरीयता सूची में संशोधन के सवाल को समाप्त किया जाता है।
कोर्ट ने याचिका में मांगी गई अन्य राहतों के लिए उसे समुचित बेंच के समक्ष सूचीबद्ध करने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने सम्मान क्रम की इस वरीयता सूची में संशोधन के लिए सूबे के प्रमुख सचिव सामान्य प्रशासन (जीएडी) अशोक घोष के प्रयासों की सराहना भी की।
[bannergarden id=”17″][bannergarden id=”18″]
गौरतलब है कि अदालत में पहले पेश की गई सूची में कुछ संवैधानिक प्राधिकारियों को कानूनी प्राधिकारियों के नीचे रखे जाने पर कोर्ट ने सख्त एतराज जताया था और राज्य सरकार को इसमें संशोधन करने के निर्देश दिए थे।