खाकी खेल रही खनन माफियाओं के साथ लेनदेन का खेल

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फर्रुखाबाद: बालू व मिट्टी खनन पर बहुत पहले ही रोक लगा दी गयी थी। वह भी सिर्फ कागजों में, सड़कों पर तो अक्सर बालू व मिट्टी से भरे वाहनों को देखा जा सकता है। लेकिन इसके बावजूद भी इन पर शिकंजा कसने के लिए खाकी के द्वारा लगाम लगाना तो दूर उनसे साठगांठ करके अपनी जेब गरम की जा सकती है। मजे की बात तो यह है कि इनमें महज शहर की कुछ पुलिस चैकियों की अहम भूमिका है।
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बीते कुछ दिनों पूर्व ही नोएडा की एसडीएम दुर्गाशक्ति नागपाल को बालू खनन माफियाओं पर शिकंजा कसने के मामले में गलत आरोप लगाकर निलंबित कर दिया गया था। मामला पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। प्रदेश सरकार एक तरफ बालू व मिट्टी खनन की बात से बिलकुल इंकार कर पल्ला झाड़ रही है। उन्हीं के इशारे पर प्रशासन भी आंखें लपेट रहा है। शहर की मुख्य चैकियों में कोतवाली फतेहगढ़ से सेन्ट्रल जेल चैकी, शहर कोतवाली की घटियाघाट चैकी और तिकोना चैकी जिसमें अच्छी कमाई कर अपने अधिकारियों को चढ़ावे में दे रहे हैं।
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बालू खनन माफियाओं द्वारा घटियाघाट से बालू खनन कर घटियाघाट चैराहे व स्वर्गधाम वाले रास्ते से निकाली जाती हैं। वहीं फतेहगढ़ क्षेत्र के बरगदियाघाट की तरफ से बालू खनन कर जिला जेल चैराहे से सेन्ट्रल जेल चैराहे होते हुए निकाली जाती है। कुछ ट्रैक्टर ट्रालियां याकूतगंज मार्ग से निकलती हैं। तिकोना चैकी की बात करें तो बुग्गियों द्वारा सुबह होने से पहले ही तिकोना चैकी के सामने से बालू विक्रेता बैलगाडि़यां भरकर लाते हैं और कुछ बजरिया रोड से तो कुछ चैक हाकर शहर में प्रवेश करते हैं। बालू व मिट्टी खनन के माध्यम से लाखों रुपये की आमदनी पुलिस के लिए जरिया बन गयी है। प्रश्न यह उठता है कि आखिर खाकी इस पर लगाम क्यों नही लगा पा रही है। बजह आमदनी करना है या कुछ और।
इस सम्बंध में क्षेत्राधिकारी नगर योगेन्द्र कुमार सिहं ने बताया कि बालू माफियाओं के खिलाफ धर पकड़ अभियान चलाया जा रहा है।